अजा एकादशी 2025: महत्व, व्रत विधि और लाभ
अजा एकादशी व्रत का महत्व, पूजा विधि, फल और घर बैठे पूजा बुक करने का आसान तरीका। जानें भगवान महाकाल की कृपा पाने का सबसे पवित्र अवसर।

अजा एकादशी हिन्दू धर्म में प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है और इसे करने से व्यक्ति के जीवन में आध्यात्मिक शांति, समृद्धि और सफलता आती है।
अजा एकादशी का महत्व
अजा एकादशी व्रत करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट होते हैं और उसे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और मानसिक शांति प्राप्त होती है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु अपने भक्तों की सभी इच्छाओं को पूरा करते हैं।
इस व्रत का नाम ‘अजा’ संस्कृत शब्द से लिया गया है, जिसका अर्थ है ‘जो जन्म और मृत्यु से परे है’। यह व्रत मुख्य रूप से मुक्ति प्राप्ति और आत्मा की शुद्धि के लिए किया जाता है।
अजा एकादशी का व्रत विधि
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स्नान और पूजा: प्रातःकाल स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनें और भगवान विष्णु की पूजा करें।
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व्रत का समय: व्रत की शुरुआत एकादशी की सुबह से होती है और द्वादशी के सूर्योदय तक जारी रहती है।
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उपवास: इस दिन अनाज और दाल का त्याग करें। व्रती केवल फल, दूध, पानी और फलाहार का सेवन कर सकते हैं।
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भक्ति और ध्यान: भगवान विष्णु, लक्ष्मी और श्री हरि का ध्यान करें। भजन, कीर्तन और कथा का श्रवण करें।
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सत्य और अच्छे कर्म: दिनभर सत्य बोलना और अच्छे कर्म करना व्रत की सफलता के लिए अत्यंत आवश्यक है।
अजा एकादशी के लाभ
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जीवन में मानसिक शांति और संतुलन आता है।
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पापों से मुक्ति और आत्मा की शुद्धि होती है।
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घर में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की वृद्धि होती है।
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भक्त को भगवान विष्णु की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
अजा एकादशी व्रत एक आध्यात्मिक साधना का अवसर है। इसे करने से न केवल पापों का नाश होता है, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, आशीर्वाद और समृद्धि भी आती है।
अजा एकादशी व्रत करने का यह पवित्र अवसर न केवल आपके जीवन में शांति और समृद्धि लाएगा, बल्कि भगवान महाकाल की विशेष कृपा भी प्राप्त होगी। आप घर बैठे इस शुभ व्रत की पूजा Mahakal.com के माध्यम से आसानी से बुक कर सकते हैं। आज ही अपनी पूजा सुनिश्चित करें और महाकाल जी के आशीर्वाद पाएं!
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