गुप्त नवरात्रि 2025: सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा विधि व कथा

गुप्त नवरात्रि 2025 में सप्तमी तिथि को मां कालरात्रि की पूजा का विशेष महत्व है। जानिए मां कालरात्रि की पूजा विधि, मंत्र, तांत्रिक महत्व, कथा और इस दिन के पूजन से प्राप्त होने वाले लाभ।

गुप्त नवरात्रि 2025: सातवें दिन मां कालरात्रि की पूजा विधि व कथा

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि साधना और तंत्र शक्ति का एक विशेष पर्व है। इस दौरान मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की गुप्त रूप से पूजा की जाती है। नवरात्रि का सातवां दिन मां दुर्गा के उग्र और भयानक स्वरूप मां कालरात्रि को समर्पित होता है। उनका यह रूप जितना भयानक प्रतीत होता है, उतना ही भक्तों के लिए कल्याणकारी और रक्षक भी है। उन्हें ‘शुभंकरी’ देवी कहा गया है जो भक्तों को भय, रोग, शत्रु और तांत्रिक बाधाओं से मुक्ति दिलाती हैं।

मां कालरात्रि का स्वरूप

मां कालरात्रि का रंग घने अंधकार जैसा काला होता है। उनके खुले बाल, अग्नि समान सांसें, चार भुजाएं—तलवार, वज्र, वरमुद्रा और अभयमुद्रा उन्हें एक रक्षक और विनाशक दोनों ही रूपों में दर्शाते हैं। उनका वाहन गधा है। मां कालरात्रि को रात्रि की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है।

मां कालरात्रि की पौराणिक कथा

पुराणों के अनुसार, जब राक्षसों का अत्याचार अत्यधिक बढ़ गया, तब मां दुर्गा ने रात्रि के समय अपने उग्र स्वरूप में अवतार लिया। इस रूप में उन्होंने राक्षसों और दुष्ट शक्तियों का संहार किया। उनका यह स्वरूप काल को भी जीतने वाला था। अतः उन्हें कालविनाशिनी भी कहा जाता है।

गुप्त नवरात्रि में मां कालरात्रि की पूजा का महत्व

तांत्रिक साधनाओं में मां कालरात्रि की पूजा को अत्यंत प्रभावशाली माना गया है। यह दिन तंत्र, मंत्र, और यंत्र साधना के लिए अत्यंत शुभ होता है। उनके पूजन से शनि, राहु-केतु और कालसर्प दोष का प्रभाव शांत होता है। अज्ञात भय, मानसिक तनाव, दुर्घटनाओं और भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति मिलती है।

मां कालरात्रि की पूजा विधि

प्रातः स्नान कर नीले या काले वस्त्र पहनें। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और मां कालरात्रि की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। मां को अर्पित करें: काले तिल, गुड़, नारियल, नीला कमल, काजल, लौंग, रातरानी के फूल। धूप, दीप, चंदन और फल अर्पित करें। रात्रि में जागरण करें और दीप प्रज्ज्वलित करें। दुर्गा सप्तशती, देवी कवच, या दुर्गा चालीसा का पाठ करें। अंत में मां की आरती करें और क्षमा याचना करें।

मंत्र और जाप विधि

मां को प्रसन्न करने के लिए निम्न मंत्रों का जाप करें:
बीज मंत्र: ॐ कालरात्र्यै नमः (108 बार)
नवार्ण मंत्र: ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे। (108 बार)
तांत्रिक साधना हेतु विशेष मंत्र: ॐ ह्रीं क्लीं काल्यै कालरात्र्यै नमः।
जाप के लिए रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करें और उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करें।

गुप्त साधनाओं में विशेष उपयोगिता

गुप्त नवरात्रि का यह दिन तांत्रिकों के लिए विशेष है। इस दिन विशेष हवन, अनुष्ठान, और यंत्र-साधना की जाती है। यह दिन उन साधकों के लिए श्रेष्ठ है जो आत्मबल, आत्मविश्वास और रक्षण की कामना करते हैं। मां कालरात्रि की साधना से सांसारिक और आध्यात्मिक दोनों क्षेत्रों में उन्नति प्राप्त होती है।

पूजा की तिथि और पंचांग विवरण

गुप्त नवरात्रि में मां कालरात्रि की पूजा 2 जुलाई 2025, बुधवार को की जाएगी। यह शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि होगी। सूर्य मिथुन राशि में और चंद्रमा सिंह राशि में रहेंगे।

मां कालरात्रि की कृपा से प्राप्त लाभ

जो भक्त पूर्ण श्रद्धा से मां कालरात्रि की पूजा करते हैं, उन्हें मानसिक शांति, भय से मुक्ति, आत्मविश्वास और स्वास्थ्य लाभ मिलता है। कई भक्तों ने अनुभव किया है कि पूजा के बाद उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन हुए हैं। दुर्घटनाओं से सुरक्षा, अज्ञात भय से मुक्ति और कठिन कार्यों में सफलता उनके प्रमुख लाभ हैं। मां कालरात्रि की कृपा से घर में सुख, शांति और संतुलन बना रहता है।

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