मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2025: महत्व, पूजा-विधि, गंगा स्नान और करने योग्य प्रमुख उपाय

मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2025 के महत्व, गंगा स्नान, विष्णु-लक्ष्मी पूजा, व्रत, दान, तर्पण और ध्यान जैसे शुभ कार्यों से मिलने वाले आध्यात्मिक व पारिवारिक लाभ जानें।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2025: महत्व, पूजा-विधि, गंगा स्नान और करने योग्य प्रमुख उपाय

मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2025: महत्व, पूजा-विधि, गंगा स्नान और करने योग्य

प्रमुख उपाय

मार्गशीर्ष पूर्णिमा, जिसे आग्रहायण पूर्णिमा भी कहा जाता है, हिंदू पंचांग की सबसे पवित्र और फलदायी पूर्णिमा तिथियों में से एक है। यह मार्गशीर्ष मास में आती है—जिसे श्रीकृष्ण ने भगवद्गीता में “मासों में श्रेष्ठ” कहा है। इसलिए इस पूर्णिमा का धार्मिक, आध्यात्मिक और ज्योतिषीय महत्व अत्यधिक है।

इस दिन विष्णु पूजा, लक्ष्मी पूजा, गंगा स्नान, दान, ध्यान, तर्पण और सत्संग विशेष फल देते हैं।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा क्या है?

यह पूर्णिमा मार्गशीर्ष मास में पड़ती है और आमतौर पर नवंबर–दिसंबर में आती है।

इस दिन की प्रमुख आध्यात्मिक विशेषताएँ

  • स्नान और दान का विशेष महत्व।

  • विष्णु-लक्ष्मी आराधना।

  • पितृ कार्य।

  • ध्यान और मंत्र जाप।

  • मानसिक और भावनात्मक शुद्धि।

चंद्रमा की प्रबल ऊर्जा इस दिन को अत्यंत शुभ बनाती है।

मार्गशीर्ष पूर्णिमा का आध्यात्मिक महत्व

1. पापों का शमन और आत्म-शुद्धि

गंगा स्नान या गंगाजल स्नान से:

  • पाप नष्ट होते हैं।

  • तनाव कम होता है।

  • मन शांत होता है।

  • नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।

2. विष्णु और लक्ष्मी पूजा का विशेष फल

इस दिन की गई पूजा से प्राप्त होते हैं:

  • धन की वृद्धि

  • करियर और व्यवसाय में उन्नति

  • घर में सुख-शांति

  • सौभाग्य और समृद्धि

3. पितृ तर्पण और पितृ दोष शांति

तर्पण, पिंडदान और तिल-तर्पण से:

  • पितृ दोष में कमी

  • पितरों की शांति

  • परिवार में उन्नति

4. ध्यान, जप और साधना का श्रेष्ठ समय

पूर्णिमा की चाँदनी से:

  • मन स्थिर होता है।

  • आध्यात्मिक ऊर्जा बढ़ती है।

  • साधना सिद्ध होती है।

लोकप्रिय मंत्र:

  • “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”

  • “ॐ श्रीं महालक्ष्म्यै नमः”

5. दान और सेवा का अक्षय पुण्य

इस दिन दान करने से मिलता है अक्षय पुण्य।

क्या दान करें ?

  • भोजन

  • वस्त्र

  • कंबल

  • तिल

  • गुड़

  • घी

  • धार्मिक सामग्री

मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर विशेष पूजा-विधि

1. ब्रह्म मुहूर्त में स्नान गंगा स्नान श्रेष्ठ, अन्यथा गंगाजल मिलाकर स्नान।

2. श्री हरि विष्णु और महालक्ष्मी पूजा तुलसी, दीपक, फल और प्रसाद अर्पित करें।

3. सत्यनारायण कथा घर में सौभाग्य और समृद्धि लाती है।

4. व्रत (उपवास) पूर्णिमा का व्रत अत्यंत फलदायी।

5. दीपदान संध्या समय दीपदान से जीवन से अंधकार दूर होता है।

6. चांदनी में ध्यान मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है।

निष्कर्ष

मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2025 आध्यात्मिक उन्नति, पितृ शांति, धन-समृद्धि और मानसिक शुद्धि का अत्यंत शुभ अवसर है। इस दिन विधि-विधान से पूजा, स्नान और दान करने से जीवन में दिव्य सकारात्मकता और सौभाग्य प्राप्त होता है।

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