84 महादेव उज्जैन की शुरुआत: अगस्त्येश्वर, गुहेश्वर, धुंधेश्वर महादेव

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84 महादेव उज्जैन की शुरुआत: अगस्त्येश्वर, गुहेश्वर, धुंधेश्वर महादेव

उज्जैन—एक ऐसा नगर जो शिवभक्ति की पराकाष्ठा है। यहाँ स्थित हैं भगवान शिव के 84 अत्यंत प्राचीन एवं दिव्य रूप, जिन्हें सामूहिक रूप से "84 महादेव" कहा जाता है। माना जाता है कि इन सभी शिवलिंगों का दर्शन करने मात्र से मोक्ष की प्राप्ति होती है और समस्त पापों का नाश हो जाता है। आज हम इस पवित्र यात्रा की शुरुआत करते हैं पहले तीन महादेवों से:

अगस्त्येश्वर महादेव

स्थान: रामघाट के समीप
विशेषता:
इस शिवलिंग की स्थापना स्वयं अगस्त्य मुनि ने की थी। कहते हैं कि जब मुनि अगस्त्य दक्षिण की यात्रा पर निकले थे, तब उज्जैन में रुककर उन्होंने यहाँ तपस्या की और शिवलिंग की स्थापना की। अगस्त्येश्वर महादेव भक्तों को तप, ज्ञान और संयम का आशीर्वाद देते हैं।

मान्यता:
जो भी व्यक्ति यहाँ सच्चे मन से भगवान शिव की आराधना करता है, उसे संतान सुख और दीर्घायु का वरदान मिलता है।

गुहेश्वर महादेव

स्थान: भूतेश्वर महादेव मंदिर के निकट
विशेषता:
'गुह' का अर्थ है 'गुप्त' या 'अदृश्य'। गुहेश्वर महादेव ऐसे शिव हैं जो भक्तों के छिपे हुए दुखों और कर्मों को नष्ट करते हैं। इनका ध्यान विशेष रूप से गुप्त साधना और आत्मिक शांति के लिए किया जाता है।

मान्यता:
गुहेश्वर के दर्शन से मन के विकार दूर होते हैं और साधक को आत्मबोध की प्राप्ति होती है।

धुंधेश्वर महादेव

स्थान: गोपाल मंदिर के समीप
विशेषता:
धुंध यानी भ्रम या अज्ञान। धुंधेश्वर महादेव वही हैं जो जीवन की 'धुंध' यानी भ्रम को मिटाकर आत्मज्ञान की राह दिखाते हैं। इनके दर्शन से साधक को अपने जीवन का उद्देश्य स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगता है।

मान्यता:
धुंधेश्वर महादेव की कृपा से व्यक्ति के जीवन के संकट और भ्रम समाप्त होते हैं। यह मंदिर छात्रों और साधकों के बीच विशेष लोकप्रिय है।

क्यों करें 84 महादेव यात्रा?

यह यात्रा केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि आत्मिक रूप से जागरूक करने वाली है।
ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति इस यात्रा को पूर्ण करता है, उसे जीवन में शिव का साक्षात आशीर्वाद प्राप्त होता है।
84 महादेवों की यह यात्रा उज्जैन की आत्मा है—जो शिव को नमन करने वालों को मोक्ष के पथ पर अग्रसर करती है।

अगस्त्येश्वर, गुहेश्वर और धुंधेश्वर महादेव—ये तीनों शिव के ऐसे स्वरूप हैं जो तप, आत्मबोध और ज्ञान का मार्ग दिखाते हैं। यदि आप उज्जैन आएं तो इन तीनों मंदिरों से अपनी 84 महादेव यात्रा की शुरुआत अवश्य करें। अगली श्रृंखला में हम जानेंगे अगले तीन महादेवों के बारे में।

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