गुप्त नवरात्रि 2025: तीसरे दिन मां चंद्रघंटा या त्रिपुर सुंदरी की पूजा करें?

गुप्त नवरात्रि 2025 के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा या त्रिपुर सुंदरी की पूजा करें? जानें दोनों पूजाओं की विधि, महत्व और लाभ इस विस्तृत लेख में।

गुप्त नवरात्रि 2025: तीसरे दिन मां चंद्रघंटा या त्रिपुर सुंदरी की पूजा करें?

गुप्त नवरात्रि हिंदू धर्म की एक रहस्यमय और शक्तिशाली साधना पद्धति है, जो तांत्रिक उपासना और विशेष मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए जानी जाती है। यह साल में दो बार — माघ और आषाढ़ मास में आती है। वर्ष 2025 में आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 26 जून से शुरू हो चुकी है और 4 जुलाई को इसका समापन होगा। इस बार यह पर्व सर्वार्थ सिद्धि योग में आरंभ हुआ है, जिससे इसकी साधना और भी अधिक फलदायी मानी जा रही है।

गुप्त नवरात्रि के तीसरे दिन को लेकर लोगों के मन में अक्सर एक सवाल उठता है — क्या इस दिन मां चंद्रघंटा की पूजा करें या महाविद्या मां त्रिपुर सुंदरी की? आइए इस भ्रम को दूर करते हुए दोनों पूजाओं के महत्व, विधि और लाभ को विस्तार से समझते हैं।

मां चंद्रघंटा की पूजा: शक्ति और शौर्य का आह्वान

मां चंद्रघंटा, मां दुर्गा का तीसरा स्वरूप हैं। इनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र स्थित होता है, जिससे इन्हें "चंद्रघंटा" कहा जाता है। यह देवी महिषासुर का संहार कर देवताओं को भयमुक्त करती हैं।

महत्व:

  • भय, नकारात्मकता और शत्रु बाधाओं का नाश

  • आत्मविश्वास और साहस में वृद्धि

  • सामाजिक प्रतिष्ठा और सम्मान में वृद्धि

  • मानसिक शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार

पूजा विधि:

  • प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें

  • मां चंद्रघंटा की प्रतिमा या तस्वीर को चौकी पर स्थापित करें

  • उन्हें कुमकुम, अक्षत, धूप, दीप और नैवेद्य अर्पित करें

  • लाल और पीले गेंदे के फूल चढ़ाएं

  • केसर और दूध से बनी खीर का भोग लगाएं

  • “ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः” मंत्र का जाप करें

  • दुर्गा सप्तशती या चंद्रघंटा आरती का पाठ करें

मां त्रिपुर सुंदरी की पूजा: सौंदर्य, प्रेम और तांत्रिक शक्ति की देवी

गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है। तीसरे दिन मां त्रिपुर सुंदरी की पूजा होती है, जिन्हें षोडशी, ललिता, राजराजेश्वरी आदि नामों से भी जाना जाता है। यह देवी परम सौंदर्य, आकर्षण, और आध्यात्मिक उन्नति की अधिष्ठात्री मानी जाती हैं।

महत्व:

  • आकर्षण, यौवन और सौंदर्य में वृद्धि

  • वैवाहिक जीवन में प्रेम और सामंजस्य

  • शत्रु बाधाओं से मुक्ति और आत्मिक संतुलन

  • तांत्रिक सिद्धियों की प्राप्ति और साधना की सफलता

पूजा विधि:

  • ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और सफेद वस्त्र पहनें

  • पवित्र चौकी पर गंगाजल छिड़कें और सफेद वस्त्र बिछाएं

  • मां त्रिपुर सुंदरी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें

  • उन्हें पुष्प, फल, मिठाई और कुमकुम अर्पित करें

  • दूध से बनी मिठाइयों या खीर का भोग लगाएं

  • “ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें

  • मां की कथा पढ़ें और श्रद्धा से आरती करें

  • कन्याओं को प्रसाद वितरित करें

दोनों पूजाओं में क्या है अंतर?

पहलू

मां चंद्रघंटा

मां त्रिपुर सुंदरी

स्वरूप

नवदुर्गा का तीसरा रूप

दस महाविद्याओं में तीसरे स्थान पर

पूजा का उद्देश्य

भय, शत्रु और मानसिक व्याकुलता से मुक्ति

सौंदर्य, प्रेम और तांत्रिक सिद्धियों की प्राप्ति

उपासना पद्धति

भक्ति और सरल पूजन विधि

तांत्रिक साधना के साथ विशेष मंत्र जाप

रंग और भोग

केसर, खीर, लाल/पीले फूल

सफेद वस्त्र, दूध-मिठाई, शांत वातावरण

यदि आप प्रकट नवरात्रि की शैली में भक्ति कर रहे हैं तो मां चंद्रघंटा की पूजा करें, और यदि आप गुप्त तांत्रिक साधना की ओर अग्रसर हैं, तो मां त्रिपुर सुंदरी की उपासना उपयुक्त मानी जाती है।

गुप्त नवरात्रि में इन कार्यों से मिलेगा विशेष पुण्य

  • देवी दुर्गा के मंत्र “ॐ दुं दुर्गायै नमः” का जप करें

  • दुर्गा सप्तशती, देवी भागवत या ललिता सहस्रनाम का पाठ करें

  • व्रत-उपवास से शरीर को शुद्ध रखें

  • निर्धनों को अन्न, वस्त्र, छाता, भोजन का दान करें

  • सुबह जल्दी उठकर सूर्य को अर्घ्य दें

  • फलाहार और सात्विक भोजन का सेवन करें

गुप्त नवरात्रि आत्म-शुद्धि, साधना सिद्धि और मनोकामना पूर्ति का विशेष काल है। तीसरे दिन आप अपनी श्रद्धा और साधना पद्धति के अनुसार मां चंद्रघंटा या मां त्रिपुर सुंदरी की पूजा कर सकते हैं। दोनों ही देवियां अपने भक्तों को अभय, शक्ति, सौंदर्य और सफलता प्रदान करती हैं। बस श्रद्धा, नियम और पवित्रता से पूजा करें, फल अवश्य मिलेगा।

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