धनतेरस 2025: पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त

धनतेरस 2025 पर जानें पूजा विधि, महत्व, शुभ मुहूर्त और खरीदारी की परंपरा। माता लक्ष्मी, धन्वंतरी और कुबेर की आराधना के साथ समृद्धि और स्वास्थ्य प्राप्त करें।

धनतेरस 2025: पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्त

धनतेरस हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जिसे कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। यह दिवाली के पांच दिवसीय महापर्व की शुरुआत का प्रतीक है। धनतेरस का शाब्दिक अर्थ है "धन का तेरवां दिन"। इस दिन विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है और इसे समृद्धि, स्वास्थ्य, और खुशहाली का पर्व माना जाता है।

धनतेरस का महत्व

धनतेरस की पूजा भगवान धन्वंतरि, मां लक्ष्मी और कुबेर देव की की जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वंतरि अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे। इसलिए इसे स्वास्थ्य और दीर्घायु का पर्व भी माना जाता है। इसके साथ ही, यह पर्व धन और समृद्धि का भी प्रतीक है।

पूजा विधि

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें।

  • घर और मंदिर की साफ-सफाई करें।

  • पूजा चौकी पर लाल या पीले कपड़े पर भगवान धन्वंतरि, लक्ष्मी और कुबेर की मूर्ति स्थापित करें।

  • दीपक जलाएं और भगवान गणेश का आह्वान करके पूजा प्रारंभ करें।

  • चंदन, रोली, फूल, चावल, और नैवेद्य के साथ देवताओं को अर्पित करें।

  • कुबेर मंत्र और धन्वंतरि स्तोत्र का जाप करें।

  • आरती करें और प्रसाद वितरण करें।

  • शाम को घर के बाहर और मुख्य द्वार पर दीये जलाएं।

खरीदारी की परंपरा

धनतेरस के दिन सोना, चांदी, नए बर्तन और घरेलू सामान खरीदना शुभ माना जाता है। यह माना जाता है कि इस दिन की गई खरीददारी से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। हालांकि, लोहे, कांच या काले रंग की वस्तुएं न खरीदने की सलाह दी जाती है।

शुभ मुहूर्त

2025 में धनतेरस 18 अक्टूबर को है। पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 7:16 बजे से रात 8:20 बजे तक रहेगा। इस समय पूजा और खरीदारी करना सबसे अधिक फलदायी माना जाता है।

धनतेरस केवल एक पर्व नहीं बल्कि समृद्धि, स्वास्थ्य और खुशहाली की कामना का प्रतीक है। इस दिन की पूजा और परंपराओं का सही अनुसरण आने वाले पूरे वर्ष के लिए सौभाग्य लेकर आता है।

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