महालयेश्वर महादेव उज्जैन: 84 महादेवों में 25वें शिवलिंग का महत्व

महालयेश्वर महादेव उज्जैन के 84 महादेवों में 25वें स्थान पर स्थित है। जानें इसका धार्मिक महत्व, पूजन विधि और पितृ दोष निवारण की मान्यता।

महालयेश्वर महादेव उज्जैन: 84 महादेवों में 25वें शिवलिंग का महत्व

प्राचीन धार्मिक नगरी उज्जैन में स्थित महालयेश्वर महादेव मंदिर, 84 महादेवों की श्रृंखला में 25वां स्थान रखता है। यह मंदिर अपनी आध्यात्मिक महत्ता और पौराणिक इतिहास के लिए प्रसिद्ध है। महाकाल की नगरी में बसे इस मंदिर का दर्शन करना भक्तों को पितृदोष शांति और मोक्ष का आशीर्वाद देता है।

मंदिर का स्थान

महालयेश्वर महादेव मंदिर, उज्जैन के महाकाल वन क्षेत्र में स्थित है। यह मंदिर मुख्य महाकालेश्वर मंदिर से अधिक दूर नहीं है और स्थानीय लोग इसे गहराई से पूजते हैं। यहाँ पहुंचने के लिए रामघाट या हरसिद्धि मंदिर से पैदल मार्ग सुगम है।

पौराणिक मान्यता

महालयेश्वर महादेव का उल्लेख स्कंद पुराण में भी मिलता है। कथा के अनुसार, यह शिवलिंग पितरों की शांति हेतु स्थापित किया गया था। "महालय" शब्द का अर्थ है – ‘पितृलोक या पितृगणों का निवास’। इस स्थान पर भगवान शिव की आराधना करने से पितृदोष समाप्त होता है और पूर्वजों को शांति मिलती है।
एक अन्य मान्यता के अनुसार, यहां शिवलिंग की स्थापना राजा युधिष्ठिर ने महाभारत काल में की थी जब वे अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति हेतु तप कर रहे थे।

मंदिर की विशेषताएं

शिवलिंग स्वरूप: मंदिर में स्थापित शिवलिंग अति प्राचीन और शांत रूप में है। इसकी पूजा विशेषत: श्राद्ध पक्ष और अमावस्या पर अधिक फलदायक मानी जाती है।
पितृ पूजन का केंद्र: यह मंदिर उन भक्तों के लिए विशेष है जो अपने पितरों की आत्मा की मुक्ति और आशीर्वाद के लिए पूजा करते हैं।
भक्ति और तर्पण: महालयेश्वर मंदिर में तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान का विशेष महत्व है। यहाँ विशेष पूजन कर पंडितों द्वारा विधिवत कर्म कराना परंपरा है।

धार्मिक महत्व

पितृ दोष निवारण: कहा जाता है कि यदि किसी की कुंडली में पितृ दोष है, तो महालयेश्वर महादेव की पूजा से राहत मिलती है।
श्राद्ध पक्ष में दर्शन: पितृ पक्ष (श्राद्ध पक्ष) के दौरान यहाँ श्रद्धालु दूर-दूर से आकर तर्पण और श्राद्ध कर्म करते हैं।
अनंत फल की प्राप्ति: मान्यता है कि जो भक्त यहां श्रद्धा से पूजन करता है, उसे शिव कृपा से जीवन में सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है।

पूजा विधि

  1. प्रातःकाल स्नान कर मंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल, दूध एवं पंचामृत चढ़ाएं।

  2. बेलपत्र, भस्म और धतूरा अर्पित करें।

  3. "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें।

  4. पंडित से पितृ शांति के लिए विशेष तर्पण और श्राद्ध अनुष्ठान कराएं।

दर्शन का उपयुक्त समय

श्रावण मास, महाशिवरात्रि, और पितृ पक्ष में दर्शन का विशेष महत्व है।
सुबह 6:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक और शाम 4:00 बजे से रात 8:00 बजे तक मंदिर दर्शन हेतु खुला रहता है।

महालयेश्वर महादेव मंदिर केवल एक शिव मंदिर नहीं, बल्कि पितरों की शांति, आत्मा की मुक्ति और आध्यात्मिक उन्नति का केंद्र है। जो भक्त अपने जीवन में शांति और पारिवारिक सुख की कामना करते हैं, उन्हें एक बार इस मंदिर का दर्शन अवश्य करना चाहिए।

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