पिशाचमुक्तेश्वर महादेव उज्जैन – 84 महादेव यात्रा का 68वां मंदिर
उज्जैन के 84 महादेवों में 68वें पिशाचमुक्तेश्वर महादेव मंदिर का महत्व, कथा और पूजा विधि जानें।

उज्जैन, महाकाल की नगरी, जहाँ हर गली और हर घाट पर भगवान शिव का वास है। यहाँ स्थित 84 महादेव मंदिरों की यात्रा को मोक्षदायिनी कहा गया है। इस यात्रा का 68वां पड़ाव है – पिशाचमुक्तेश्वर महादेव मंदिर।
पौराणिक मान्यता
धार्मिक कथाओं के अनुसार प्राचीन काल में पिशाच अर्थात् अशुभ और नकारात्मक शक्तियाँ मनुष्यों को परेशान करती थीं। भक्तों की रक्षा के लिए भगवान शिव ने पिशाचमुक्तेश्वर रूप धारण किया। ऐसा माना जाता है कि जो भी श्रद्धालु यहाँ भक्ति भाव से पूजा करता है, वह सभी पिशाच बाधाओं, भय और अशुभ प्रभावों से मुक्त हो जाता है।
इसी कारण इस मंदिर का नाम पड़ा – पिशाचमुक्तेश्वर महादेव।
धार्मिक महत्व
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इस शिवलिंग की पूजा करने से पितृदोष का शमन होता है।
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जीवन से अशांति, भय और रोगों का नाश होता है।
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अमावस्या, सोमवारी और महाशिवरात्रि के दिन विशेष पूजा करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।
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यहाँ "ॐ नमः शिवाय" का जप अत्यंत फलदायी माना जाता है।
84 महादेव यात्रा में स्थान
उज्जैन के 84 महादेव मंदिरों का दर्शन करने से भक्त को वही पुण्य प्राप्त होता है, जो स्वयं भगवान महाकाल के दर्शन से मिलता है।
पिशाचमुक्तेश्वर महादेव इस यात्रा का 68वां मंदिर है। यहाँ दर्शन करने से श्रद्धालु की आत्मा शुद्ध होती है और मन से सभी नकारात्मक शक्तियाँ दूर हो जाती हैं।
पूजन विधि
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सुबह स्नान कर भगवान शिव को जल, दूध, बेलपत्र और धतूरा अर्पित करें।
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दीपक जलाकर "ॐ पिशाचमुक्तेश्वराय नमः" मंत्र का जप करें।
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शिवचालीसा और महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करने से विशेष लाभ होता है।
पिशाचमुक्तेश्वर महादेव मंदिर केवल एक आस्था का केंद्र ही नहीं, बल्कि नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति और मानसिक शांति प्राप्त करने का स्थान भी है। उज्जैन आने वाले हर भक्त को 84 महादेव यात्रा के साथ यहाँ अवश्य दर्शन करना चाहिए।
महाकाल की नगरी उज्जैन में हर मंदिर का अपना महत्व है। पिशाचमुक्तेश्वर महादेव के दर्शन का पुण्य अब आप भी आसानी से पा सकते हैं।
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