घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग: शिवभक्ति का अंतिम और पवित्र स्थान
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में अंतिम और पवित्र स्थल है। जानिए मंदिर का इतिहास, पौराणिक कथा, धार्मिक महत्व और यात्रा से जुड़ी पूरी जानकारी इस ब्लॉग में।

भारत में शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से अंतिम स्थान रखता है घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग। यह मंदिर महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में, प्रसिद्ध एलोरा की गुफाओं के पास स्थित है। यह न केवल एक तीर्थस्थल है, बल्कि शिवभक्तों के लिए आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र भी है। घृष्णेश्वर का अर्थ होता है – "घृष्मा के ईश्वर", और इसका सीधा संबंध एक महान भक्त स्त्री की तपस्या से जुड़ा है।
घृष्णेश्वर मंदिर का इतिहास और निर्माण
घृष्णेश्वर मंदिर का पुनर्निर्माण 18वीं शताब्दी में मालवा की रानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा करवाया गया। यह वही रानी थीं जिन्होंने काशी विश्वनाथ और अन्य प्रमुख मंदिरों का जीर्णोद्धार भी कराया। मंदिर का निर्माण दक्षिण भारतीय शैली में किया गया है, जिसमें सुंदर नक्काशी, पत्थरों पर की गई मूर्तिकला और आकर्षक स्तंभ देखने को मिलते हैं।
पौराणिक कथा
घृष्मा नामक एक महिला भगवान शिव की परम भक्त थीं। उन्होंने प्रतिदिन शिवलिंग बनाकर जलाभिषेक और पूजा की। एक दिन उनके पुत्र की मृत्यु हो गई, लेकिन उन्होंने पूजा नहीं छोड़ी। उनकी निष्ठा से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और उनके पुत्र को पुनर्जीवित कर दिया। तब भगवान शिव ने घृष्मा के नाम पर इस स्थान पर ज्योतिर्लिंग रूप में वास करने का वचन दिया और इस प्रकार यह स्थान घृष्णेश्वर कहलाया।
धार्मिक महत्त्व
यह शिव का अंतिम ज्योतिर्लिंग है, जिसे पूर्णता और मोक्ष का द्वार माना जाता है। यहाँ शिवलिंग का अभिषेक दूध, जल, शहद, बेलपत्र और भस्म से किया जाता है। विशेष बात यह है कि मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश केवल पुरुषों को धोती पहनकर ही मिलता है।
प्रमुख अवसर:
-
महाशिवरात्रि
-
श्रावण मास (विशेषकर सोमवार)
-
प्रदोष व्रत
मंदिर तक कैसे पहुँचें?
साधन | विवरण |
---|---|
स्थान | वेरूल गांव, एलोरा, औरंगाबाद, महाराष्ट्र |
निकटतम रेलवे स्टेशन | औरंगाबाद (30 किमी दूर) |
निकटतम हवाई अड्डा | औरंगाबाद हवाई अड्डा |
सड़क मार्ग | पुणे, नासिक, और मुंबई से सीधी बस और टैक्सी सेवा उपलब्ध |
आसपास के दर्शनीय स्थल
-
एलोरा की गुफाएं (विश्व धरोहर स्थल)
-
कैलाशनाथ मंदिर (पत्थर से निर्मित विशाल मंदिर)
-
बिबी का मकबरा
-
दौलताबाद किला
यात्रा सुझाव
-
सावन और महाशिवरात्रि के दौरान भारी भीड़ होती है – अग्रिम योजना बनाएं
-
मंदिर में पारंपरिक परिधान पहनने की सलाह दी जाती है
-
श्रद्धालु यहां से रुद्राक्ष, धार्मिक पुस्तिकाएं और प्रसाद भी प्राप्त कर सकते हैं
घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग एक ऐसा तीर्थस्थल है जो केवल धार्मिक ही नहीं, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह स्थान उस भक्ति का प्रतीक है जो भगवान शिव को समर्पित होती है – निश्छल, निरंतर और पूर्ण।
What's Your Reaction?






