बछ बारस 2025: व्रत का महत्व, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
बछ बारस 2025 व्रत भाद्रपद कृष्ण द्वादशी को मनाया जाएगा। जानें बछ बारस 2025 की तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, व्रत का महत्व और इस दिन के नियम।

हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद माह की कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को बछ बारस व्रत मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से गौ माता और उनके बछड़े की पूजा के लिए समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण को गाय और बछड़ों से विशेष प्रेम था, इसलिए यह व्रत उनका स्मरण करते हुए किया जाता है। महिलाएं इस दिन अपने बच्चों की लंबी उम्र और परिवार की खुशहाली की कामना करती हैं।
बछ बारस 2025 तिथि और शुभ मुहूर्त
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द्वादशी तिथि प्रारंभ: सोमवार, 18 अगस्त 2025 को प्रातः 09:22 बजे
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द्वादशी तिथि समाप्त: मंगलवार, 19 अगस्त 2025 को प्रातः 07:10 बजे
सूर्योदय के आधार पर बछ बारस व्रत 18 अगस्त 2025 (सोमवार) को रखा जाएगा।
बछ बारस 2025 पूजा विधि
प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। गौ माता और बछड़े की विधि-विधान से पूजा करें। घर में मिट्टी या गोबर से बनी बावड़ी (छोटी तलैया) बनाकर उसमें कच्चा दूध और पानी डालें। पूजा के समय दीपक जलाएं, मौली, रोली और फूल अर्पित करें। बछ बारस व्रत कथा सुनें और भगवान श्रीकृष्ण का स्मरण करें। अंत में गाय को हरा चारा खिलाएं और उनकी सेवा करें।
व्रत के नियम और विशेष बातें
इस दिन गेहूं से बनी वस्तुओं का सेवन वर्जित होता है। घर में बाजरे की रोटी और अंकुरित अनाज की सब्जी का सेवन करना शुभ माना जाता है। यदि गाय और बछड़े की पूजा करना संभव न हो, तो मिट्टी या चित्र के रूप में उनकी पूजा करें।
बछ बारस व्रत का महत्व
बछ बारस व्रत रखने से संतान की लंबी आयु, परिवार की सुख-समृद्धि और जीवन में शांति आती है। गौ माता और बछड़े की पूजा करने से सभी पापों का क्षय होता है और घर में सकारात्मक ऊर्जा का वास होता है।
बछ बारस 2025 की पूजा विधि अपनाकर इस शुभ दिन का लाभ उठाएं। आप अपनी बछ बारस पूजा Mahakal.com के माध्यम से आसानी से बुक कर सकते हैं और घर बैठे ऑनलाइन पूजा में शामिल हो सकते हैं।
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