वैशाख पूर्णिमा 2025: बुद्ध पूर्णिमा का महत्व, व्रत विधि, तिथि, योग और दान का संपूर्ण विवरण

वैशाख पूर्णिमा 2025: बुद्ध पूर्णिमा का महत्व, व्रत विधि, तिथि, योग और दान का संपूर्ण विवरण

हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख माह की पूर्णिमा तिथि आध्यात्मिक उन्नति, दान-पुण्य और आत्मशुद्धि का पर्व मानी जाती है। यही तिथि भगवान बुद्ध के जन्मदिवस के रूप में भी प्रसिद्ध है, जिसे बुद्ध पूर्णिमा कहा जाता है। यह दिन न केवल धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक संतुलन का प्रतीक भी है।

वैशाख पूर्णिमा 2025 की तिथि और समय
पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 11 मई 2025, शाम 6:55 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त: 12 मई 2025, शाम 7:22 बजे
पूजा का उत्तम समय: 12 मई को दोपहर 11:51 बजे से 12:45 बजे तक
चंद्रोदय का समय: शाम 6:57 बजे

वैशाख पूर्णिमा का महत्व

  1. यह तिथि भगवान विष्णु की उपासना और सत्यनारायण व्रत के लिए श्रेष्ठ मानी जाती है।

  2. बौद्ध धर्म में यह दिन गौतम बुद्ध के जन्म, ज्ञान प्राप्ति और महापरिनिर्वाण तीनों घटनाओं से जुड़ा है।

  3. स्नान-दान से पुण्य अर्जित होता है और पापों का क्षय होता है।

पूजा विधि
प्रातःकाल तीर्थ स्नान करें या घर में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
स्वच्छ वस्त्र पहनकर व्रत का संकल्प लें।
भगवान विष्णु या सत्यनारायण की पूजा करें।
कथा सुनें और चंद्रमा को अर्घ्य दें।
रात को खीर बनाकर प्रसाद रूप में वितरित करें।

शुभ योग और संयोग
रवि योग: 5:33 AM से 6:17 AM तक
भद्रा काल: 5:33 AM से 9:14 AM तक (पाताल लोक में)
बुधादित्य योग और वरियन योग भी इस दिन बन रहे हैं, जिससे यह दिन अत्यंत शुभ और सिद्ध बन जाता है।

क्या करें दान
ठंडे जल से भरा घड़ा
फल, सत्तू, चना, पंखा, छाता
वस्त्र, खीर, मिश्री और शक्कर
गरीबों को अन्न और दक्षिणा

विशेष मान्यता
जो व्यक्ति इस दिन व्रत, पूजन और दान करता है, वह कई जन्मों के पापों से मुक्त होकर मोक्ष की ओर अग्रसर होता है।

बुद्ध पूर्णिमा से जुड़ी प्रेरणा
गौतम बुद्ध का जीवन हमें संयम, करुणा और ध्यान का संदेश देता है। उनका उपदेश था:
“अत्त दीपो भव” – अपने स्वयं के दीपक बनो।

वैशाख पूर्णिमा केवल एक तिथि नहीं, बल्कि एक ऐसा अवसर है जो जीवन में संतुलन, शुद्धता और सत्य की ओर अग्रसर करता है। यह दिन भक्तों के लिए धर्म, ध्यान और दान का संगम है।

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