आज मनाई जा रही है मेष संक्रांति, जानें पूजा विधि और इस दिन का विशेष महत्व

आज मनाई जा रही है मेष संक्रांति, जानें पूजा विधि और इस दिन का विशेष महत्व

मेष संक्रांति का हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण स्थान है, जिसे सौर नववर्ष की शुरुआत के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। यह उत्सव आध्यात्मिक उन्नति, नई फसल के मौसम की शुरुआत और प्रकृति में परिवर्तन के संकेत के रूप में मनाया जाता है। ज्योतिष के अनुसार, यह दिन अत्यंत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इस दिन सूर्य देवता मेष राशि में प्रवेश करते हैं, जिसे सौर वर्ष का पहला दिन माना जाता है। भारत में त्योहार केवल तिथियों का हिसाब नहीं होते, ये मौसम, मन और मान्यताओं से जुड़े होते हैं। मेष संक्रांति भी ऐसा ही एक खास पर्व है, जो हर साल तब आता है जब सूर्य देव मेष राशि में प्रवेश करते हैं। यही वह क्षण होता है जिसे हिंदू सौर नववर्ष की शुरुआत के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को लेकर मान्यता है कि जब सूर्य मेष में प्रवेश करता है, तब प्रकृति में एक नई चेतना, नया जीवन और एक नये चक्र की शुरुआत होती है। पेड़-पौधों में नई कोंपलें फूटती हैं, मौसम में गर्माहट बढ़ने लगती है और खेतों में नई फसलें तैयार होती हैं। इसी वजह से मेष संक्रांति को नए जीवन की शुरुआत, आत्मिक उन्नति और शुभ कार्यों के लिए आदर्श समय माना जाता है। यह सिर्फ एक ज्योतिषीय घटना नहीं, बल्कि नई उम्मीदों और नई रोशनी के स्वागत का दिन है। इस दिन पूजा, दान, स्नान और सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आने की बात कही जाती है।

मेष संक्रांति 2025 की तिथि व समय
तारीख: 14 अप्रैल 2025, सोमवार
सूर्य का मेष राशि में प्रवेश: सुबह 3:30 बजे
उदया तिथि मान्य: इसलिए त्योहार इसी दिन मनाया जाएगा

क्या है मेष संक्रांति का आध्यात्मिक महत्व?
ज्योतिष में मेष राशि को बारह राशियों में पहला स्थान मिला है। सूर्य का इसमें प्रवेश नए सौर वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है। यह दिन आत्मचिंतन, ध्यान और नए विचारों के बीज बोने का समय माना जाता है।

कैसे मनाएं मेष संक्रांति?
स्नान से शुरुआत करें: यदि संभव हो तो किसी पवित्र नदी (गंगा, यमुना, गोदावरी) में स्नान करें। यदि न हो सके तो घर पर स्नान के जल में गंगाजल मिलाएं।
सूर्य को अर्घ्य दें: तांबे के लोटे में जल, लाल फूल, अक्षत, गुड़ और रोली डालें। पूर्व दिशा की ओर मुख करके सूर्य देव को अर्घ्य दें।
मंत्र जाप और पाठ: "ॐ सूर्याय नमः" का जाप करें या आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
प्रसाद वितरण: पूजा के बाद सूर्य को भोग लगाएं और फिर प्रसाद सभी को बांटें।

भारत में अलग-अलग नामों से जानी जाती है मेष संक्रांति
तमिलनाडु में: पुथांडु
केरल में: विशु
पंजाब में: बैसाखी
ओडिशा में: पाना संक्रांति
हर राज्य में नाम भिन्न है, पर भावना और उत्सव का उद्देश्य एक समान है।

दान-पुण्य का महत्व
इस दिन तांबे के बर्तन, गुड़, लाल वस्त्र, भोजन और जल का दान करना बेहद शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन किया गया दान सौ गुना फल देता है।

विशेष राशियों को मिलेगा लाभ
आज सूर्य का मेष में प्रवेश कुछ राशियों के लिए सुख, सफलता और समृद्धि का संकेत लाता है।


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