ओंकारेश्वर – शिवभक्ति और नर्मदा की पावन धारा का मिलन
ओंकारेश्वर मंदिर, नर्मदा नदी के बीच स्थित पवित्र ज्योतिर्लिंग स्थल है। जानें धार्मिक महत्व, दर्शनीय स्थल, पौराणिक कथा और यात्रा जानकारी।

भारत में कई ऐसे धार्मिक स्थल हैं जहां आस्था और प्रकृति का अद्भुत संगम होता है, और ओंकारेश्वर उन्हीं में से एक है। मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में स्थित यह स्थान भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक के रूप में प्रसिद्ध है।
ओंकारेश्वर का महत्व
ओंकारेश्वर मंदिर नर्मदा नदी के बीच स्थित एक द्वीप पर बना हुआ है, जिसका आकार ॐ (ओंकार) जैसा दिखाई देता है। यही इसकी पहचान का सबसे प्रमुख कारण है। यह स्थान शिवभक्तों के लिए अत्यंत पूजनीय है और यहां का वातावरण बेहद शांत, आध्यात्मिक और मन को शांति देने वाला होता है।
यहां दो प्रमुख मंदिर स्थित हैं:
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ओंकारेश्वर मंदिर – जहां स्वयंभू शिवलिंग की पूजा होती है
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ममलेश्वर मंदिर – जिसे कुछ मान्यताओं में असली ज्योतिर्लिंग भी कहा गया है
ओंकारेश्वर की पौराणिक कथा
मान्यता के अनुसार, राजा मंदाता ने इस पवित्र स्थान पर कठोर तपस्या की थी। भगवान शिव उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर यहां ज्योतिर्लिंग रूप में प्रकट हुए। तभी से इस पर्वत को मंदाता पर्वत और शिवमंदिर को ओंकारेश्वर कहा जाने लगा।
ओंकारेश्वर मंदिर की वास्तुकला
ओंकारेश्वर मंदिर की वास्तुकला पारंपरिक भारतीय शैली में निर्मित है। इसकी ऊंची शिखर, नक्काशीदार दीवारें और गर्भगृह में स्थित शिवलिंग सभी श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक ऊर्जा से भर देते हैं। मंदिर के पास बहती नर्मदा नदी इसकी भव्यता में चार चांद लगा देती है।
ओंकारेश्वर में क्या-क्या देखें?
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ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर
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ममलेश्वर मंदिर
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सिद्धनाथ मंदिर
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गोमुख घाट – नर्मदा स्नान के लिए प्रसिद्ध
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नर्मदा परिक्रमा पथ – श्रद्धालुओं के लिए एक धार्मिक यात्रा पथ
ओंकारेश्वर यात्रा का सर्वोत्तम समय
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श्रावण मास – शिवभक्तों की भारी भीड़
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महाशिवरात्रि – विशेष रौनक और रात्रि जागरण
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नवरात्रि – देवी पूजन के साथ शिव आराधना
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अक्टूबर से मार्च – मौसम सुहावना और दर्शनों के लिए उपयुक्त
ओंकारेश्वर कैसे पहुंचें?
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रेल मार्ग: नजदीकी रेलवे स्टेशन – ओंकारेश्वर रोड (मोर्टक्का)
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सड़क मार्ग: इंदौर से 77 किमी दूर; बस और टैक्सी की सुविधा उपलब्ध
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हवाई मार्ग: इंदौर एयरपोर्ट सबसे निकटतम हवाई अड्डा है
ओंकारेश्वर यात्रा का अनुभव
ओंकारेश्वर की यात्रा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि यह आत्मा की गहराई से जुड़े आध्यात्मिक अनुभव की तरह होती है। यहां नर्मदा की शुद्ध धारा, शिवलिंग के दर्शन और भक्तों की भक्ति मिलकर एक ऐसा वातावरण बनाते हैं जो मन, मस्तिष्क और आत्मा – तीनों को शांति देता है।
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