कल्कि जयंती 2024: भगवान विष्णु के दसवें अवतार की पूजा और महत्व

कल्कि जयंती 2024: भगवान विष्णु के दसवें अवतार की पूजा और महत्व

कल्कि जयंती हिंदू धर्म में एक विशेष पर्व है, जिसे भगवान विष्णु के दसवें अवतार कल्कि की पूजा के लिए मनाया जाता है। इस वर्ष यह पर्व 10 अगस्त, शनिवार को मनाया जा रहा है। यह पर्व सावन मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को आता है, और इसे भगवान विष्णु के कल्कि अवतार की पूजा के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

भगवान कल्कि का अवतार और उद्देश्य

भगवान विष्णु के नौ अवतारों के बाद, कल्कि उनका दसवां और अंतिम अवतार माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार, कलियुग में अधर्म और पाप के बढ़ने पर भगवान विष्णु कल्कि के रूप में अवतार लेंगे। उनका उद्देश्य अधर्म का नाश करके धर्म की पुनर्स्थापना करना होगा। यह माना जाता है कि कल्कि अवतार के बाद सतयुग का आरंभ होगा और कलियुग का अंत हो जाएगा।

कल्कि पुराण के अनुसार जन्म स्थान

कल्कि पुराण में बताया गया है कि भगवान कल्कि का जन्म उत्तर प्रदेश के संभल गांव में होगा। उनके माता-पिता का नाम सुमति और विष्णुदत्त होगा। भगवान कल्कि के चार भाई होंगे, जो धर्म की स्थापना में उनकी सहायता करेंगे। इसके अलावा, भगवान परशुराम उनके गुरु होंगे, जो उन्हें वेद और शास्त्रों का ज्ञान देंगे।

कल्कि जयंती पर पूजा विधि

कल्कि जयंती के दिन श्रद्धालु भगवान विष्णु के कल्कि अवतार की पूजा करते हैं। इस दिन की पूजा विधि कुछ इस प्रकार है:

  1. स्नान और संकल्प: सुबह जल्दी उठकर पवित्र स्नान करें और व्रत रखने का संकल्प लें।
  2. प्रतिमा स्थापना: भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर को एक वेदी पर स्थापित करें और उनका अभिषेक करें।
  3. तिलक और माला: भगवान को गोपी चंदन का तिलक लगाएं और पीले फूलों की माला अर्पित करें।
  4. मंत्र जाप: वैदिक मंत्रों का जाप और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
  5. दान और प्रसाद: ब्राह्मणों और जरूरतमंदों को भोजन और वस्त्र दान करें, और अगले दिन प्रसाद से व्रत खोलें।

कल्कि जयंती का महत्व

कल्कि जयंती का पर्व आध्यात्मिक दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान विष्णु के कल्कि अवतार की पूजा करने से भक्तों को शुभ फल प्राप्त होते हैं, और उन्हें जीवन में शत्रुओं से मुक्ति मिलती है। यह दिन धर्म और सत्य के प्रति समर्पण का प्रतीक है, और इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाना चाहिए।

कल्कि जयंती के दिन की गई पूजा और व्रत व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि और मोक्ष प्राप्ति के मार्ग को प्रशस्त करता है। यह पर्व हमें अधर्म के खिलाफ खड़े होने और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

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