कामाख्या, गुवाहाटी: असम का प्राचीन और रहस्यमय शक्ति पीठ

कामाख्या मंदिर, गुवाहाटी में स्थित एक प्राचीन शक्ति पीठ है, जो तांत्रिक साधना और अंबुवाची मेले के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर देवी कामाख्या की शक्ति और सृजन का प्रतीक है।

कामाख्या, गुवाहाटी: असम का प्राचीन और रहस्यमय शक्ति पीठ

असम की राजधानी गुवाहाटी में नीलाचल पहाड़ी की चोटी पर स्थित कामाख्या मंदिर भारत के सबसे प्राचीन और रहस्यमय तीर्थ स्थलों में से एक है। यह मंदिर मां कामाख्या को समर्पित है और इसे शक्ति और सृजन शक्ति का प्रतीक माना जाता है। यहां देवी की कोई मूर्ति नहीं है, बल्कि गर्भगृह में एक प्राकृतिक योनिकुंड है, जिसे जलधारा से सिंचित किया जाता है। भक्त इसे देवी की शक्ति स्वरूपा मानकर पूजा करते हैं ।

पौराणिक मान्यताएं और इतिहास

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जब देवी सती का शरीर प्रमुख हिस्सों में टूट गया था, तो उनका योनिभाग कामाख्या पर्वत पर गिरा। इसी कारण यह मंदिर शक्ति पीठों में से एक है और यहां देवी को कामाख्या या कामरूपा के नाम से पूजा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर के तीन बार दर्शन करने से सांसारिक बंधनों से मुक्ति मिलती है। मंदिर का वर्तमान स्वरूप 16वीं सदी में कोच राजा नरनारायण ने बनवाया था, हालांकि इसे कालापहाड़ ने भी नुकसान पहुंचाया था। बाद में इसे पुनः स्थापित किया गया ।

अनोखी परंपराएं और अम्बुवाची मेला

कामाख्या मंदिर अपनी अनोखी परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। हर साल जून-जुलाई में यहां अंबुवाची मेला आयोजित होता है, जो देवी के वार्षिक मासिक धर्म को दर्शाता है। इस दौरान मंदिर तीन दिनों के लिए बंद रहता है और भक्तों को दर्शन की अनुमति नहीं होती। यह त्योहार स्त्री जीवन और प्रकृति के चक्र का सम्मान करता है, जो कामाख्या मंदिर की विशिष्टता को दर्शाता है.

तांत्रिक साधना का केंद्र

कामाख्या मंदिर तांत्रिक साधना का एक प्रमुख स्थान भी माना जाता है। यहां के साधुओं के पास कई चमत्कारिक शक्तियां मानी जाती हैं और यहां काला जादू को दूर करने जैसे रहस्यमय अनुष्ठान भी होते हैं। मंदिर के असाधारण इतिहास और यहां की तांत्रिक परंपराएं इसे अन्य मंदिरों से भिन्न बनाती हैं.

यात्रा मार्ग और महत्व

कामाख्या मंदिर गुवाहाटी से लगभग 7 किलोमीटर दूर नीलाचल पहाड़ियों पर स्थित है। गुवाहाटी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे और रेलवे स्टेशन से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है। नवरात्रि और अंबुवाची मेले के दौरान यहां भारी भीड़ रहती है, और भक्तों की बड़ी संख्या मां कामाख्या के आशीर्वाद के लिए आती है.

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