गोवर्धन पूजा 2025: महत्व, तिथि और पूजा विधि
गोवर्धन पूजा 2025 कब है, इसका महत्व और पूजा विधि क्या है, जानिए इस शुभ पर्व के बारे में विस्तार से। भगवान कृष्ण की लीला और अन्नकूट महोत्सव का इतिहास पढ़ें।

गोवर्धन पूजा हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जो हर साल दीवाली के चौथे दिन मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान श्रीकृष्ण की गोवर्धन पर्वत उठाने की महाकाव्य लीला का स्मरण करता है, जिसमें उन्होंने अपने भक्तों को इंद्र के प्रकोप से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को कई दिनों तक अपनी छोटी उंगली पर उठाए रखा था।
गोवर्धन पूजा का महत्व
गोवर्धन पूजा प्रकृति के प्रति सम्मान और आभार प्रकट करती है। यह हमें सिखाती है कि भगवान की भक्ति और प्रकृति का संरक्षण जीवन का आधार है। इस दिन अन्नकूट पर्व भी मनाया जाता है, जहां लाखों तरह के व्यंजन बनाकर प्रसाद के रूप में भगवान को अर्पित किए जाते हैं।
पूजा विधि
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मिट्टी या तरकारी से गोवर्धन पर्वत की प्रतिमा बनाई जाती है।
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भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है और अन्नकूट के पकवान भगवान को अर्पित किए जाते हैं।
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गायों की पूजा की जाती है क्योंकि वे हिंदू धर्म में पवित्र मानी जाती हैं।
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भजन-कीर्तन और आरती के माध्यम से भगवान की स्तुति की जाती है।
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परिवार और समुदाय के लोग मिलकर यह पूजा करते हैं और प्रसाद का सेवन करते हैं।
सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संदेश
गोवर्धन पूजा हमें बताती है कि प्रकृति का संरक्षण आवश्यक है और हमें हमेशा अपने पर्यावरण के प्रति संवेदनशील रहना चाहिए। भगवान कृष्ण की इस लीला से सीख मिलती है कि सच्चा भक्त हर परिस्थिति में अपने श्रद्धानुसार कार्य करता है।
कब और कैसे मनाएं?
गोवर्धन पूजा 2025 को 22 अक्टूबर बुधवार को होगी। शुभ मुहूर्त सुबह 6:15 बजे से 8:42 बजे तक है। इस दौरान पूजा करना सर्वोत्तम माना जाता है।
गोवर्धन पूजा न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक एकता का संदेश भी देती है। इसे श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाएं और भगवान कृष्ण की कृपा प्राप्त करें।
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