मंडल पूजा 2025: भगवान अय्यप्पा की 41 दिन की तपस्या और साधना

मंडल पूजा 2025: भगवान अय्यप्पा की 41 दिन की तपस्या और भक्ति का पवित्र व्रत। जानें पूजा का महत्व, विधि, और आध्यात्मिक लाभ।

मंडल पूजा 2025: भगवान अय्यप्पा की 41 दिन की तपस्या और साधना

मंडल पूजा भगवान अय्यप्पा की आराधना के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण धार्मिक व्रत है, जो हर साल नवंबर-दिसंबर में मनाया जाता है। इस पूजा की अवधि 41 दिन की होती है, जो भक्तों द्वारा शारीरिक और मानसिक शुद्धि के लिए आत्मसंयम, तपस्या और भक्ति के साथ पूरी की जाती है।

मंडल पूजा का धार्मिक महत्व

मंडल पूजा के 41 दिन आत्मा की शुद्धि का चक्र हैं, जो भक्तों को सांसारिक बंधनों से मुक्त कर भगवान अय्यप्पा की भक्ति में ले जाते हैं। यह व्रत संयम, शुद्ध आहार, और नियमित पूजा-अर्चना की कठोर नियमावली का पालन करने की प्रेरणा देता है। मंडल पूजा के दौरान भक्त काले या नीले वस्त्र पहनते हैं और तुलसी, रुद्राक्ष माला धारण करते हैं।

पूजा की विधि और विशेषताएँ

  • इन 41 दिनों में भक्त सुबह-शाम अराधना करते हैं।

  • आहार में सादगी रहती है और मांसाहार से परहेज किया जाता है।

  • ये परम्परागत पूजा अय्यप्पा के मंदिर, खासकर साबरिमाला में बड़े उत्साह से सम्पन्न होती है।

  • भक्त यात्रा भी करते हैं, जिसे आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग माना जाता है।

मंडल पूजा का आध्यात्मिक और सामाजिक प्रभाव

यह व्रत केवल एक धार्मिक समारोह नहीं, बल्कि भक्ति और आत्मा की शुद्धि का दिव्य मार्ग है। आज के समय में भी यह पूजा लाखों श्रद्धालुओं के जीवन में अनुशासन और आध्यात्मिकता का संचार करती है। साथ ही यह समुदाय में एकता और सामाजिक मेलजोल के लिए भी प्रेरणा स्रोत है।

मंडल पूजा 2025 का यह पवित्र व्रत भक्तों को नए उत्साह और आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण करता है। इसमें तपस्या, श्रद्धा और आत्मा की शांति का समावेश है, जो भक्तों के जीवन को साकारात्मक रूप से बदल देता है।

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