चेटी चंद 2025: महत्व, पूजा विधि और परंपराएं

चेटी चंद सिंधी समुदाय का एक प्रमुख त्योहार है, जिसे भगवान झूलेलाल के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह दिन हिंदू नववर्ष की शुरुआत का प्रतीक भी है और चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को आता है। चेटी चंद मुख्य रूप से सिंधी समाज के लोगों द्वारा मनाया जाता है, लेकिन इसकी भव्यता और आस्था इसे संपूर्ण भारत में एक महत्वपूर्ण पर्व बनाती है।
चेटी चंद का महत्व
चेटी चंद का त्योहार भगवान झूलेलाल के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है, जो सिंधी समाज के आराध्य देव माने जाते हैं। मान्यता है कि जब सिंध प्रदेश में मिरखशाह नामक क्रूर शासक ने हिंदुओं पर अत्याचार बढ़ा दिए और उन्हें जबरन धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करने लगा, तब भगवान झूलेलाल का जन्म हुआ। उन्होंने अपने दिव्य चमत्कारों से मिरखशाह को पराजित किया और सिंधियों की रक्षा की।
इस दिन को सिंधी नववर्ष की शुरुआत के रूप में भी देखा जाता है, और यह नए अवसरों, सुख-समृद्धि और आध्यात्मिक उत्थान का प्रतीक है।
चेटी चंद की पूजा विधि
1. प्रातः स्नान और घर की सफाई: इस दिन श्रद्धालु प्रातः स्नान कर घर की सफाई करते हैं और पूजा की तैयारी करते हैं।
2. भगवान झूलेलाल की पूजा: भगवान झूलेलाल की मूर्ति या तस्वीर को सजाया जाता है और दीप प्रज्वलित कर उनकी आरती की जाती है।
3. बहरी पूजन: इस पूजा को ‘बहरी पूजा’ कहा जाता है, जिसमें सिंधी समाज के लोग जल स्रोत (नदी, तालाब, कुआं या समुद्र) के पास जाकर पूजा करते हैं और पानी में दीपदान करते हैं।
4. कलश स्थापना: जल के देवता वरुण और झूलेलाल की कृपा प्राप्त करने के लिए कलश में जल भरकर उसकी पूजा की जाती है।
5. पालकी यात्रा और झूलेलाल जयंती उत्सव: इस दिन सिंधी समाज के लोग झूलेलाल की झांकी निकालते हैं और शोभायात्रा का आयोजन करते हैं।
6. प्रसाद वितरण: प्रसाद के रूप में मीठे पकवान और ताहर (मीठे चावल) वितरित किए जाते हैं।
चेटी चंद से जुड़ी परंपराएं
- सिंधी समाज इस दिन को नए व्यापार या नए कार्यों की शुरुआत के लिए शुभ मानता है।
- इस अवसर पर समाज में भजन-कीर्तन और सत्संग का आयोजन किया जाता है।
- लोग अपने घरों में विशेष रूप से मीठे पकवान और प्रसाद तैयार करते हैं।
- ‘जय झूलेलाल’ के जयकारों के साथ सिंधी समाज के लोग एकता और भाईचारे का संदेश देते हैं।
चेटी चंद का ज्योतिषीय महत्व
चेटी चंद हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र शुक्ल द्वितीया को मनाया जाता है, जो एक शुभ तिथि मानी जाती है। इस दिन जल देवता की पूजा का विशेष महत्व होता है, जिससे मनुष्य के जीवन में शांति और समृद्धि आती है।
चेटी चंद न केवल सिंधी समाज के लिए बल्कि संपूर्ण भारत के लिए एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखने वाला पर्व है। यह दिन भगवान झूलेलाल की कृपा प्राप्त करने, जल की महत्ता को समझने और समाज में प्रेम और एकता का संदेश फैलाने का प्रतीक है।
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