जब धर्म के लिए ब्राह्मण बना योद्धा: परशुराम जयंती और अक्षय तृतीया की महिमा

जब धर्म के लिए ब्राह्मण बना योद्धा: परशुराम जयंती और अक्षय तृतीया की महिमा

भारतीय सनातन धर्म में अनेक देवी-देवताओं ने समय-समय पर पृथ्वी पर अवतार लेकर धर्म की रक्षा की है। इन्हीं में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और प्रभावशाली अवतार हैं भगवान परशुराम, जो भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं। उन्हें एक ऐसे ऋषि के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने शस्त्र और शास्त्र दोनों में समान रूप से सिद्धि प्राप्त की।

भगवान परशुराम का जन्म

भगवान परशुराम का जन्म त्रेता युग में महर्षि जमदग्नि और माता रेणुका के घर हुआ था। वे ब्राह्मण कुल में जन्मे, परंतु क्षत्रिय धर्म का पालन करने वाले ऐसे योद्धा बने, जिन्होंने अत्याचार और अधर्म के विरुद्ध अपनी कुल्हाड़ी (परशु) उठाई। उनके नाम का अर्थ है – "परशु (कुल्हाड़ी) धारण करने वाला राम"

शस्त्र और शास्त्र के स्वामी

भगवान परशुराम न केवल एक महान योद्धा थे, बल्कि वे अत्यंत ज्ञानी और तपस्वी भी थे। उन्होंने भगवान शिव से दिव्य अस्त्र-शस्त्रों की विद्या प्राप्त की और कालांतर में वे स्वयं एक महान गुरु बन गए। ऐसा कहा जाता है कि उन्होंने भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य और कर्ण जैसे महायोद्धाओं को शस्त्रविद्या सिखाई थी।

परशुराम और क्षत्रिय संहार

एक समय पृथ्वी पर क्षत्रियों में अहंकार और अत्याचार बढ़ गया था। सहस्त्रबाहु (कार्तवीर्य अर्जुन) नामक राजा ने परशुराम के पिता महर्षि जमदग्नि की हत्या कर दी। इससे क्रोधित होकर भगवान परशुराम ने पृथ्वी से 21 बार क्षत्रियों का संहार किया और पुनः धर्म की स्थापना की।

चिरंजीवी भगवान

भगवान परशुराम को अष्ट चिरंजीवियों में एक माना गया है। ऐसा विश्वास है कि वे आज भी जीवित हैं और जब समय आएगा, तब वे कल्कि अवतार को दिव्य अस्त्र प्रदान करेंगे। परशुराम जी का निवास स्थल महेन्द्रगिरि (ओडिशा) में माना जाता है।

भगवान परशुराम की आराधना

परशुराम जयंती, जो अक्षय तृतीया के दिन मनाई जाती है, उनके भक्तों के लिए एक प्रमुख पर्व है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं, कथा सुनते हैं और भगवान परशुराम की पूजा करते हैं। यह दिन धार्मिक और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक माना जाता है।

भगवान परशुराम का जीवन हमें यह सिखाता है कि धर्म की रक्षा के लिए कठोर कदम भी उठाने पड़ सकते हैं। वे ब्रह्मतेज और क्षात्रबल के अद्वितीय संगम थे। उनके जीवन से प्रेरणा लेकर हम भी सत्य, न्याय और धर्म के मार्ग पर चलने का प्रयास कर सकते हैं।

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