जशोरेश्वरी काली मंदिर: खुलना, बांग्लादेश का प्राचीन शक्ति पीठ
जशोरेश्वरी काली मंदिर, खुलना, बांग्लादेश में स्थित प्राचीन शक्ति पीठ है, जहाँ देवी सती के अंग गिरे थे। यह मंदिर भक्तों के लिए अत्यंत पवित्र और प्रसिद्ध स्थल है।

जशोरेश्वरी काली मंदिर बांग्लादेश के खुलना जिले के श्यामनगर उपजिला में ईश्वरिपुर गांव में स्थित एक प्राचीन हिंदू मंदिर है। यह मंदिर देवी काली को समर्पित है और इसे शक्ति पीठों में से एक माना जाता है। मान्यता है कि यह मंदिर तभी गया है जब माता सीता के शरीर के जलते अंगों में से एक अंग गिरा था, और इस कारण इसे धार्मिक दृष्टि से अत्यंत पवित्र स्थान माना जाता है।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
कहा जाता है कि महाराजा प्रतापादित्य के सेनापति ने जंगल में एक चमकदार प्रकाश देखा जो एक मानव हथेली के आकार के पत्थर से आ रहा था। इस दृश्य को देखकर महाराजा ने वहां देवी काली की पूजा करने का निर्णय लिया और मंदिर का निर्माण करवाया। मंदिर की वास्तुकला में एक सौ दरवाजे होने का उल्लेख है, जिसका निर्माण ब्राह्मण आचाऱ्य अनारी ने किया था। बाद में लक्ष्मण सेन तथा प्रतापादित्य ने इसे और मजबूत बनाया।
पावन स्थल और धार्मिक महत्त्व
यह मंदिर नवरात्रि में विशेष रूप से पूजा जाता है। यहां देवी काली की मूर्ति अद्वितीय है, जिसमें उनका प्रचंड क्रोध अंदर की ओर केंद्रित होता है, जो भक्तों के अंदर की अशुद्धियों और अहंकार को खत्म करता है। मंदिर के स्तंभों को भी अगस्त 1971 के युद्ध के दौरान क्षतिग्रस्त मंदिर से शेष माना जाता है, जो आज भी धार्मिक सम्मान का केंद्र हैं।
यह मंदिर न केवल बंगालियों बल्कि अन्य देशों से भी भक्तों को आकर्षित करता है, जो यहां देवी के दर्शन कर आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त करते हैं। हर साल यहाँ काली पूजा और मेले का आयोजन होता है, जो धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव का प्रमुख केंद्र बन जाता है।
सांस्कृतिक और आध्यात्मिक प्रभाव
जशोरेश्वरी मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति का भी प्रतीक है। माना जाता है कि यहां देवी की पूजा से भक्तों की आत्मा पवित्र होती है और वे मोक्ष की ओर अग्रसर होते हैं। यह मंदिर सभी समुदायों के लोगों के लिए खुला है, जहां वे एकता और शांति का अनुभव करते हैं।
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