नाग पंचमी 2025: तिथि, पूजा विधि और धार्मिक महत्व
नाग पंचमी 2025 की तिथि, पूजा विधि, व्रत कथा और धार्मिक महत्व की संपूर्ण जानकारी यहाँ पाएं। जानें नाग देवता की पूजा कैसे करें और इस पर्व से जुड़ी मान्यताएं।

नाग पंचमी, हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जो नाग देवता की पूजा के लिए समर्पित होता है। यह पर्व विशेष रूप से भारत के विभिन्न हिस्सों में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है।
नाग पंचमी 2025 की तिथि और मुहूर्त
तिथि: सोमवार, 4 अगस्त 2025
पंचमी तिथि प्रारंभ: 4 अगस्त 2025 को सुबह 07:10 बजे
पंचमी तिथि समाप्त: 5 अगस्त 2025 को सुबह 03:50 बजे तक
पूजा का श्रेष्ठ समय (मुहूर्त): सुबह 09:00 बजे से 11:00 बजे तक (स्थानीय समय अनुसार)
नाग पंचमी का धार्मिक महत्व
श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाने वाला यह पर्व नाग देवता की आराधना का प्रतीक है। इस दिन लोग नागों की पूजा करके अपने जीवन में आने वाले संकटों से मुक्ति की कामना करते हैं। यह पर्व विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्व रखता है जो काल सर्प दोष, सर्प भय या संतान प्राप्ति की समस्या से पीड़ित होते हैं।
नाग पंचमी की पौराणिक कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत काल में राजा जनमेजय ने अपने पिता परीक्षित की मृत्यु का बदला लेने के लिए सर्प यज्ञ कराया था। उस यज्ञ में सभी नाग जलने लगे। तब आस्तिक ऋषि ने यज्ञ को रोक कर नागों की रक्षा की। उसी दिन को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाने लगा। यह पर्व जीवन, सुरक्षा और करुणा का प्रतीक बन गया।
नाग पंचमी की पूजा विधि
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प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
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घर के आंगन, दरवाज़े या दीवार पर नाग देवता की आकृति बनाएं।
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दूध, कुशा, अक्षत, फूल, दूर्वा, हल्दी और चंदन से नाग देवता की पूजा करें।
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नागों को दूध या लस्सी चढ़ाएं। कुछ लोग साँप के बिल में दूध अर्पित करते हैं।
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नाग स्तोत्र या नाग मंत्र का जाप करें, जैसे – "ॐ नमः सर्पेभ्यः" या "ॐ कुरुकुल्ये हुं फट् स्वाहा"।
इस दिन क्या करें और क्या नहीं करें
क्या करें:
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नाग देवता की विधिपूर्वक पूजा करें।
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सात्विक आहार ग्रहण करें और व्रत रखें।
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जरूरतमंदों या ब्राह्मणों को दान दें।
क्या न करें:
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जमीन की खुदाई, खेत में हल चलाना या बिलों को नुकसान न पहुंचाएं।
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तली-भुनी या मांसाहारी चीजों का सेवन न करें।
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सर्प को पकड़ने या उन्हें परेशान करने का प्रयास न करें।
नाग पंचमी का क्षेत्रीय महत्व
उत्तर भारत: दीवारों पर नाग की आकृति बनाकर पूजा की जाती है।
महाराष्ट्र: साँपों को दूध पिलाकर पूजा की जाती है।
दक्षिण भारत: मंदिरों में विशेष नाग पूजा की जाती है, विशेष रूप से नागारहवु पूजा।
बिहार/बंगाल: मनसा देवी की पूजा होती है और लोकगीत गाए जाते हैं।
नाग पंचमी व्रत के लाभ
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काल सर्प दोष से मुक्ति मिलती है।
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संतान सुख की प्राप्ति होती है।
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रोग, भय और शत्रु बाधा से रक्षा होती है।
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जीवन में समृद्धि, सुख और शांति आती है।
नाग पंचमी एक धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध पर्व है, जो प्रकृति, सर्पों और देवताओं के प्रति आभार व्यक्त करने का अवसर देता है। यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि पर्यावरणीय संतुलन के लिए भी महत्वपूर्ण है। नागों की पूजा कर हम उनके संरक्षण की दिशा में एक कदम बढ़ाते हैं और स्वयं के जीवन को भी संकटों से मुक्त करने का प्रयास करते हैं।
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