प्रदोष व्रत की पूजा विधि, मुहूर्त, और महत्वपूर्ण जानकारी

प्रदोष व्रत की पूजा विधि, मुहूर्त, और महत्वपूर्ण जानकारी

प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत हिंदू धर्म में भगवान शिव को समर्पित होता है। इसे प्रदोष काल में किया जाता है, जो सूर्यास्त से लेकर रात्रि के पहले प्रहर तक का समय होता है। यह व्रत विशेष रूप से धन, स्वास्थ्य, सौभाग्य, और शत्रुनाश की कामना के लिए किया जाता है। शुक्र प्रदोष व्रत का पालन करने से वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि आती है।

प्रदोष व्रत की पूजा विधि

  1. स्नान और शुद्धिकरण: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें। मन को शांत रखें और व्रत का संकल्प लें।
  2. भगवान शिव का अभिषेक: शिवलिंग का गंगाजल, दूध, दही, घी, शहद और चीनी से अभिषेक करें।
  3. पूजन सामग्री: भगवान शिव को बेलपत्र, आक के फूल, सफेद तिल, और चावल अर्पित करें। दीपक और धूप जलाएं।
  4. मंत्र जाप:
    • ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें।
    • महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करें।
  5. कथा का श्रवण: प्रदोष व्रत की कथा सुनें या पढ़ें।
  6. आरती: भगवान शिव की आरती करें और भोग अर्पित करें।
  7. दान: जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और सफेद तिल का दान करें।

प्रदोष व्रत मुहूर्त
प्रदोष व्रत पूजा का शुभ समय सूर्यास्त से लगभग 1.5 घंटे के भीतर होता है।

  • शुक्र प्रदोष व्रत पूजा का समय: 13 दिसंबर 2024, शाम 05:26 से 07:40 बजे तक।

महत्वपूर्ण टिप्स

  • व्रत के दौरान सात्विक भोजन करें।
  • क्रोध, झूठ और नकारात्मक विचारों से बचें।
  • भगवान शिव का स्मरण पूरे दिन करते रहें।

प्रदोष व्रत के लाभ

  • शत्रुओं से मुक्ति मिलती है।
  • वैवाहिक जीवन सुखमय बनता है।
  • रोगों से छुटकारा मिलता है।
  • धन-धान्य और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।

यदि आप प्रदोष व्रत के दौरान पूरी श्रद्धा और नियम से पूजा करते हैं, तो भगवान शिव की कृपा से आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

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