राम एकादशी: महत्व, कथा और व्रत की विधि
राम एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित एक पवित्र व्रत है, जो पापों से मुक्ति और समृद्धि प्रदान करता है। जानिए इसकी कथा, पूजा विधि और महत्व।

राम एकादशी कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित एक पवित्र और महत्वपूर्ण उपवास है, जिसे सच्चे मन से करने वाले को सभी पापों से मुक्ति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। इसके अलावा, यह व्रत जीवन में सुख-समृद्धि लाने, स्वास्थ्य लाभ देने और मनोकामनाएं पूरी करने के लिए भी जाना जाता है।
पौराणिक कथा
पद्म पुराण और अन्य धर्मग्रंथों के अनुसार, मुचकुंद नाम का एक राजा था, जिसकी कन्या चंद्रभागा ने रमा एकादशी का व्रत किया था। उसकी श्रद्धा के कारण उसके पति शोभन को भी इसके फलस्वरूप राजसत्ता और ऐश्वर्य मिला। भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया कि रमा एकादशी व्रत का फल वाजपेय यज्ञ के समान होता है, जो समस्त पापों का नाश करता है।
व्रत की विधि
इस दिन व्रती सुबह शुद्ध हो कर विष्णु और लक्ष्मी की पूजा अर्चना करते हैं। व्रत में भोजन त्यागा जाता है या हल्का फलाहार किया जाता है। व्रत का पारण अगले दिन द्वादशी को शुभ मुहूर्त में किया जाता है। इस दिन कथा पढ़ना या सुनना अनिवार्य माना जाता है, जिससे व्रत का पूरा फल प्राप्त होता है।
राम एकादशी का महत्व
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सभी पापों से छुटकारा दिलाना
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घर में सुख-समृद्धि लाना
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धन-धान्य की प्राप्ति करना
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आध्यात्मिक शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति
राम एकादशी का व्रत करने से भक्त को विष्णुलोक की प्राप्ति होती है और भगवान विष्णु एवं माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
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