विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी 2025: तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत कथा

जानें विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी 2025 की सही तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत कथा। भगवान गणेश की कृपा पाएं और जीवन में सुख-समृद्धि बढ़ाएं।

विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी 2025: तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत कथा

विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी, भगवान गणेश की पूजा का विशेष पर्व है, जो प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत विशेष रूप से महिलाओं द्वारा रखा जाता है, ताकि घर में सुख-शांति, समृद्धि और संतान सुख की प्राप्ति हो।

विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी 2025 की तिथि

इस वर्ष विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी 10 सितंबर 2025, बुधवार को मनाई जाएगी।
चतुर्थी तिथि का आरंभ 10 सितंबर को दोपहर 03:37 बजे और समापन 11 सितंबर को दोपहर 12:45 बजे होगा।
इस दिन चंद्रमा का उदय 08:29 बजे होगा, जो व्रत पारण का समय है।

पूजा विधि

  1. सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।

  2. चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं।

  3. गणेश जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।

  4. गणेश जी को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर) से स्नान कराएं।

  5. लाल फूल, दूर्वा, चंदन, रोली और अक्षत अर्पित करें।

  6. देसी घी का दीपक जलाएं।

  7. व्रत कथा का श्रवण करें और गणेश मंत्रों का जाप करें।

  8. गणेश जी को मोदक, लड्डू और फल अर्पित करें।

  9. रात को चंद्रमा का दर्शन करें और व्रत का पारण करें।

शुभ योग और मुहूर्त

इस दिन विशेष रूप से वृद्धि और ध्रुव योग बन रहे हैं, जो पूजा और व्रत के लिए अत्यंत शुभ माने जाते हैं।
इसके अतिरिक्त, ब्रह्म मुहूर्त (04:31 से 05:18 बजे), विजय मुहूर्त (14:23 से 15:12 बजे), गोधूलि मुहूर्त (18:32 से 18:55 बजे) और निशिता मुहूर्त (23:55 से 00:41 बजे) भी विशेष महत्व रखते हैं।

व्रत कथा

विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा में बाणासुर की कन्या उषा और भगवान श्री कृष्ण के पौत्र अनिरुद्ध के प्रेम प्रसंग का वर्णन है।
उषा ने अनिरुद्ध को अपने सपने में देखा और उनसे विवाह का संकल्प लिया। चित्रलेखा नामक अपनी सहेली के माध्यम से अनिरुद्ध का अपहरण कर लिया।
इस घटना से श्री कृष्ण जी और रुक्मिणी जी शोकाकुल हो गए। लोमश ऋषि ने उन्हें विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने की सलाह दी।
व्रत के प्रभाव से भगवान श्री कृष्ण ने बाणासुर को पराजित किया और अनिरुद्ध को मुक्त किया। इस कथा के श्रवण से सभी बाधाएं दूर होती हैं और भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है।

दान का महत्व

विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी के दिन दान का विशेष महत्व है।
सात प्रकार के अनाज (गेहूं, चना, दाल आदि) का दान करने से धन की तंगी दूर होती है।
हरे या लाल वस्त्र का दान करने से व्यापार में सफलता मिलती है।
पीतल या तांबे के बर्तन दान करने से सुख-समृद्धि बढ़ती है।
शिक्षा संबंधी वस्तुएं जैसे किताब, कलम, कॉपी आदि का दान करने से करियर में तरक्की होती है।
ये सभी उपाय जीवन के कष्टों को दूर कर भगवान गणेश की विशेष कृपा दिलाते हैं।

व्रत के लाभ

  • सभी प्रकार की बाधाएं दूर होती हैं।

  • घर में सुख-शांति और समृद्धि आती है।

  • व्यापार और करियर में सफलता मिलती है।

  • संतान सुख की प्राप्ति होती है।

  • भगवान गणेश की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का व्रत श्रद्धा और विश्वास के साथ करने से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यह व्रत भगवान गणेश की पूजा का एक महत्वपूर्ण अवसर है, जो जीवन की सभी बाधाओं को दूर करता है।

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow