शरद पूर्णिमा 2025: आध्यात्मिक महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

शरद पूर्णिमा 2025: जानें शुभ तिथि, पूजन विधि, चंद्रमा की अमृत वर्षा, माता लक्ष्मी की पूजा और खीर रखने का मुहूर्त। समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए यह पावन पर्व विशेष महत्व रखता है।

शरद पूर्णिमा 2025: आध्यात्मिक महत्व, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

शरद पूर्णिमा 2025 का त्योहार इस वर्ष 6 अक्टूबर को मनाया जाएगा। यह पूर्णिमा आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की है, जो चंद्रमा की sixteen कलाओं से पूर्णता और अमृत वर्षा का प्रतीक मानी जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और भक्तों को धन-समृद्धि तथा आशीर्वाद देती हैं। शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है "कौन जागा है?" यानी जागरण करने वाले भक्तों को माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

पूजा और अनुष्ठान:

इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। खास परंपरा है कि दूध और चावल से बनी खीर को पूरी रात बाहर, खुले आसमान के नीचे चंद्रमा की रोशनी में रखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि चंद्र की अमृत जैसी किरणें खीर में शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी गुण भर देती हैं। अगले दिन उस खीर का सेवन करना शुभ माना जाता है।

ज्योतिषीय महत्व:

इस वर्ष शरद पूर्णिमा के दिन 6 अक्टूबर को चंद्र ग्रह कुंभ से मीन राशि में गोचर करेगा, जो कुछ राशियों के लिए आर्थिक समृद्धि लाने वाला योग है। चंद्रमा का प्रकाश और उसकी ऊर्जा विशेष रूप से मन को शांति और ऊर्जा प्रदान करती है।

शरद पूर्णिमा के प्रमुख संदेश:

यह त्योहार जागरूकता, शुद्धता, आध्यात्मिक जागरण और समृद्धि का प्रतीक है। पूर्णिमा की चंद्रमा किरणों को अमृत माना जाता है, जो जीवन में खुशहाली और स्वास्थ्य लाने में सहायक होती हैं।

शुभ मुहूर्त:

शरद पूर्णिमा की तिथि 6 अक्टूबर 2025 दोपहर 12:23 से शुरू होकर अगले दिन 7 अक्टूबर सुबह 9:16 तक रहेगी। खीर चंद्रमा की रोशनी में रखने का शुभ समय रात 10:53 बजे से शुरू होता है।

इस तरह, शरद पूर्णिमा 2025 न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह शरीर और मन को भी ऊर्जा और रोग-प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करती है। यह पर्व प्रेम, भक्ति, और समृद्धि का पावन संदेश लेकर आता है।

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