श्री धनुसहस्त्रेश्वर महादेव मंदिर – 84 महादेव यात्रा का 63वां धाम
श्री धनुसहस्त्रेश्वर महादेव (63वां महादेव) 84 महादेव यात्रा का महत्वपूर्ण धाम है। भगवान शिव के पराक्रमी स्वरूप की दिव्य अनुभूति यहाँ होती है।

भारत की संस्कृति और आस्था में भगवान शिव का स्थान सर्वोच्च है। मालवा और निमाड़ की पावन धरती पर स्थित 84 महादेव यात्रा का महत्व विशेष माना जाता है। इस यात्रा में भगवान शंकर के 84 प्राचीन एवं पूजनीय मंदिरों के दर्शन किए जाते हैं। इन्हीं में से एक है श्री धनुसहस्त्रेश्वर महादेव, जिसे 63वें स्थान पर गिना गया है।
मंदिर का परिचय
श्री धनुसहस्त्रेश्वर महादेव मंदिर एक प्राचीन शिवधाम है। यहाँ स्थित शिवलिंग को स्वयंभू माना जाता है और श्रद्धालु मानते हैं कि यह शिवलिंग अनादिकाल से यहाँ विराजमान है। मंदिर परिसर का वातावरण शांत और आध्यात्मिक ऊर्जा से परिपूर्ण है, जहाँ पहुँचते ही भक्त को दिव्यता का अनुभव होता है।
नाम का महत्व
मंदिर के नाम का संबंध भगवान शिव के पराक्रमी स्वरूप से है।
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धनु = धनुष
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सहस्त्र = हजार
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ईश्वर = भगवान
धनुसहस्त्रेश्वर का अर्थ है – धनुष और हजारों अस्त्र-शस्त्रों के स्वामी भगवान शिव। मान्यता है कि इसी स्थान पर महादेव ने अपने दिव्य अस्त्रों से दुष्ट शक्तियों का नाश किया था।
धार्मिक महत्व
84 महादेव यात्रा में इस मंदिर का दर्शन अनिवार्य माना जाता है। यहाँ जलाभिषेक करने से जीवन के संकट और शत्रु दूर होते हैं। बेलपत्र, धतूरा और अक्षत अर्पित करने से विशेष पुण्य मिलता है। भक्त मानते हैं कि इस स्थान पर की गई प्रार्थना शीघ्र फलदायी होती है।
उत्सव और अनुष्ठान
महाशिवरात्रि पर यहाँ भव्य मेला और रात्रि जागरण होता है। सावन मास में प्रतिदिन हज़ारों श्रद्धालु जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करने पहुँचते हैं। प्रत्येक सोमवार को विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाता है।
यात्रियों का अनुभव
यह मंदिर न केवल श्रद्धा का केन्द्र है बल्कि ध्यान और साधना का अद्भुत स्थान भी है। मंदिर परिसर की शांति, धार्मिक अनुष्ठान और प्राकृतिक वातावरण भक्तों के मन को गहरी भक्ति और शांति से भर देता है।
श्री धनुसहस्त्रेश्वर महादेव (63वां महादेव) भगवान शिव के पराक्रमी स्वरूप का प्रतीक है। यह मंदिर 84 महादेव यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है और हर उस भक्त के लिए विशेष है जो शिव की कृपा और आत्मिक शांति की तलाश में है।
श्री धनुसहस्त्रेश्वर महादेव (63वां महादेव) 84 महादेव यात्रा का महत्वपूर्ण पड़ाव है और भगवान शिव के पराक्रमी स्वरूप का प्रतीक है।
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