हनुमन्तेश्वर महादेव : उज्जैन का दिव्य आध्यात्मिक धाम

हनुमन्तेश्वर महादेव (79/84) उज्जैन का प्राचीन मंदिर है, जो 84 महादेव में से एक है। जानिए इसका इतिहास, धार्मिक महत्व और दर्शन का महत्व।

हनुमन्तेश्वर महादेव : उज्जैन का दिव्य आध्यात्मिक धाम

उज्जैन, महाकाल की नगरी, अपनी धार्मिक महत्ता और मंदिरों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। यहाँ स्थित 84 महादेव मंदिरों की यात्रा एक विशेष आध्यात्मिक अनुभव देती है। इन 84 मंदिरों में से 79वाँ स्थान पवित्र हनुमन्तेश्वर महादेव मंदिर को प्राप्त है। यह मंदिर केवल भगवान शिव की आराधना का केंद्र ही नहीं, बल्कि यह भगवान हनुमान की शक्ति और भक्ति का प्रतीक भी है।

पौराणिक कथा

हनुमन्तेश्वर महादेव मंदिर की कथा भगवान हनुमान के बाल्यकाल से जुड़ी है। पुराणों के अनुसार, एक बार बाल हनुमान ने उदय होते हुए सूर्य को फल समझकर निगलने का प्रयास किया। इससे क्रोधित होकर इन्द्रदेव ने अपने वज्र से उन पर प्रहार किया, जिससे वे बेहोश होकर धरती पर गिर पड़े। वायु देव, जो उनके पिता थे, उन्हें लेकर महाकाल वन पहुँचे और एक शिवलिंग के सामने रख दिया। जैसे ही हनुमान ने उस शिवलिंग को स्पर्श किया, वे पुनः चेतनावान हो गए। तभी से वह शिवलिंग हनुमन्तेश्वर महादेव के नाम से प्रसिद्ध हुआ। यह कथा भगवान शिव और हनुमान के अनन्त संबंध को दर्शाती है।

विशेष पूजन परंपराएँ

इस मंदिर की पूजा परंपरा इसे अन्य मंदिरों से अलग बनाती है। यहाँ शिवलिंग का अभिषेक केवल जल, दूध या घी से नहीं, बल्कि तिल के तेल और मोहरी के तेल से भी किया जाता है। यह अनोखी परंपरा आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। मंदिर की एक और विशेषता यह है कि यहाँ कभी ताले नहीं लगते। यह मंदिर 24 घंटे भक्तों के लिए खुला रहता है। मंदिर प्रांगण में सुंदर पंचमुखी हनुमान प्रतिमा के साथ माता पार्वती, भगवान गणेश, कार्तिकेय और नंदी की मूर्तियाँ भी विराजमान हैं।

आध्यात्मिक महत्व

भक्तों का विश्वास है कि हनुमन्तेश्वर महादेव की आराधना से मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं और सभी बाधाएँ दूर होती हैं। विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को यहाँ दर्शन और पूजा का विशेष महत्व है। श्रावण मास, महाशिवरात्रि और हनुमान जयंती जैसे अवसरों पर यहाँ बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं और मंदिर भव्य रूप से सजाया जाता है।

मंदिर का स्थान

हनुमन्तेश्वर महादेव मंदिर उज्जैन में गडकालिका मंदिर से कालभैरव मंदिर जाने वाले मार्ग पर, ओखलेश्वर घाट के पास स्थित है। मंदिर का प्राकृतिक वातावरण और पवित्रता यहाँ आने वाले हर भक्त को शांति और ऊर्जा प्रदान करता है।

भक्तों के लिए सुझाव

  • मंगलवार और शनिवार को दर्शन का विशेष महत्व है।

  • पूजा सामग्री में तिल, मोहरी और तेल अवश्य ले जाएँ।

  • मंदिर परिसर में कुछ समय शांत बैठकर ध्यान करने से गहरी आध्यात्मिक अनुभूति होती है।

  • यदि संभव हो तो 84 महादेव यात्रा का हिस्सा बनकर इस मंदिर का दर्शन अवश्य करें।

हनुमन्तेश्वर महादेव (79/84) केवल एक मंदिर नहीं है, बल्कि यह वह स्थान है जहाँ भक्ति, शक्ति और अध्यात्म का संगम होता है। यह मंदिर भगवान शिव और भगवान हनुमान के अनन्त संबंध का प्रतीक है और श्रद्धालुओं को अटूट आस्था, शांति और दिव्य ऊर्जा प्रदान करता है। उज्जैन की यात्रा करने वाले हर भक्त के लिए इस मंदिर का दर्शन एक अविस्मरणीय अनुभव है।

हनुमन्तेश्वर महादेव (79/84) के दर्शन के बाद अपनी आध्यात्मिक यात्रा को पूर्ण बनाइए – पूजा सेवा और रॉयल दर्शन बुक करें सिर्फ Mahakal.com पर।

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