ज्वाला जी मंदिर, कांगड़ा: हिमाचल का अनंत ज्योति स्थल

कांगड़ा, हिमाचल प्रदेश का ज्वाला जी मंदिर (सिद्धिदा) सदियों से जलती अनंत ज्योतियों और माँ शक्ति की आस्था का पावन धाम है।

ज्वाला जी मंदिर, कांगड़ा: हिमाचल का अनंत ज्योति स्थल

भारत की धरती अपने धार्मिक और आध्यात्मिक स्थलों के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। इन्हीं पवित्र स्थलों में से एक है ज्वाला जी मंदिर, जिसे सिद्धिदा के नाम से भी जाना जाता है। हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित यह मंदिर अपनी अनोखी और अद्भुत ज्योतियों के लिए प्रसिद्ध है, जो सदियों से बिना किसी ईंधन या तेल के निरंतर प्रज्वलित हैं। यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था, विश्वास और चमत्कार का जीवंत प्रतीक है।

ज्वाला जी मंदिर की पौराणिक कथा

हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, ज्वाला जी मंदिर का संबंध माता सती से है। जब राजा दक्ष ने भगवान शिव का अपमान किया, तो माता सती ने यज्ञ कुंड में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए। भगवान शिव के क्रोध को शांत करने के लिए भगवान विष्णु ने सती के शरीर को अपने सुदर्शन चक्र से 51 भागों में विभाजित कर पृथ्वी पर गिरा दिया। इन्हें ही शक्ति पीठ कहा जाता है। कहा जाता है कि माता सती की जीभ (जिह्वा) इस स्थान पर गिरी थी। तभी से यहाँ अनंत ज्योतियाँ प्रज्वलित हैं, जिन्हें माँ शक्ति का प्रत्यक्ष स्वरूप माना जाता है।

अनोखी ज्योतियाँ

इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है यहाँ जलने वाली नौ प्राकृतिक ज्योतियाँ। ये ज्योतियाँ विभिन्न देवियों को समर्पित हैं:

  1. महाकाली

  2. अन्नपूर्णा

  3. चंडी

  4. हिंगलाज

  5. विंध्यवासिनी

  6. महालक्ष्मी

  7. सरस्वती

  8. अंबिका

  9. अंजना

इन ज्योतियों को बुझाने के कई प्रयास किए गए, यहाँ तक कि सम्राट अकबर ने भी इन्हें बुझवाने का आदेश दिया, लेकिन वे कभी बुझी नहीं। यह माँ शक्ति की अनंत शक्ति का चमत्कार माना जाता है।

धार्मिक महत्व और आस्था

ज्वाला जी मंदिर को सिद्धिदा शक्ति पीठ कहा जाता है, जिसका अर्थ है “सिद्धियाँ प्रदान करने वाली”। श्रद्धालुओं का मानना है कि यहाँ सच्चे मन से की गई प्रार्थना अवश्य पूर्ण होती है। विशेषकर नवरात्रि के समय यहाँ लाखों भक्त दर्शन के लिए आते हैं और माँ की आराधना करके अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की कामना करते हैं।

प्रमुख उत्सव और अनुष्ठान

  • नवरात्रि महोत्सव – इस समय मंदिर में भव्य सजावट, भजन-कीर्तन और विशेष पूजा-अर्चना होती है।

  • ज्योति की आरती – यहाँ की आरती अत्यंत मनमोहक होती है, जिसमें पुजारी माँ की ज्योतियों को पुष्प और मंत्रों से अलंकृत करते हैं।

  • लंगर परंपरा – श्रद्धालुओं के लिए यहाँ लंगर (भोजन) की व्यवस्था होती है, जिसे माँ का प्रसाद माना जाता है।

आसपास के दर्शनीय स्थल

ज्वाला जी मंदिर की यात्रा के साथ आप कांगड़ा और उसके आस-पास के प्रसिद्ध स्थलों की भी सैर कर सकते हैं:

  • कांगड़ा किला – प्राचीन इतिहास और वीरता का प्रतीक।

  • बैजनाथ मंदिर – भगवान शिव को समर्पित सुंदर मंदिर।

  • चामुंडा देवी मंदिर – शक्ति की एक और प्रसिद्ध पीठ।

  • धर्मशाला और मैक्लॉडगंज – प्रकृति और शांति के खोजकर्ताओं के लिए आदर्श स्थान।

वहाँ कैसे पहुँचे?

  • हवाई मार्ग – निकटतम हवाई अड्डा गग्गल एयरपोर्ट (कांगड़ा) है, जो लगभग 50 किमी दूर है।

  • रेल मार्ग – निकटतम रेलवे स्टेशन कांगड़ा मंडिर है, जो लगभग 20 किमी दूर है।

  • सड़क मार्ग – कांगड़ा, धर्मशाला और हिमाचल प्रदेश के अन्य शहरों से सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुँचा जा सकता है।

ज्वाला जी (सिद्धिदा) मंदिर, कांगड़ा केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं बल्कि आस्था और विश्वास का जीवंत प्रतीक है। यहाँ की अनंत ज्योतियाँ यह संदेश देती हैं कि माँ की शक्ति अजर-अमर है और उनका आशीर्वाद सदा अपने भक्तों के साथ रहता है। यदि आप हिमाचल प्रदेश की यात्रा की योजना बना रहे हैं, तो इस दिव्य धाम के दर्शन अवश्य करें और माँ की अनुकंपा का अनुभव करें।

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