प्रयागेश्वर महादेव मंदिर : त्रिवेणी संगम पर स्थित दिव्य ज्योतिर्लिंग

प्रयागराज स्थित प्रयागेश्वर महादेव मंदिर का महत्व, इतिहास और धार्मिक मान्यता। त्रिवेणी संगम पर शिव भक्तों का पावन तीर्थ।

प्रयागेश्वर महादेव मंदिर : त्रिवेणी संगम पर स्थित दिव्य ज्योतिर्लिंग

भारतभूमि पर स्थित प्रत्येक तीर्थ का अपना विशेष महत्व है। इसी कड़ी में प्रयागराज (इलाहाबाद) का त्रिवेणी संगम—गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती का संगम स्थल—सबसे पवित्र माना जाता है। यही पर स्थित है प्रयागेश्वर महादेव मंदिर, जिसे संगमेश्वर महादेव भी कहा जाता है।

प्रयागेश्वर महादेव का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार प्रयागेश्वर महादेव की पूजा करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। कहा जाता है कि स्वयं भगवान ब्रह्मा ने इस क्षेत्र में यज्ञ किया था और भगवान शिव को प्रयागराज का रक्षक (कोटेश्वर) नियुक्त किया था।

यहाँ दर्शन करने से:

पितरों की मुक्ति होती है।

जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

तीर्थराज प्रयाग की यात्रा पूर्ण मानी जाती है।

धार्मिक मान्यता

पौराणिक कथाओं में उल्लेख मिलता है कि जब ब्रह्माजी ने सृष्टि रचना की तो सबसे पहले प्रयाग को ही पूजा और यज्ञ के लिए चुना। तब भगवान शिव ने यहाँ प्रयागेश्वर महादेव रूप में वास किया और संगम क्षेत्र की रक्षा का वचन दिया।

इसी कारण यहाँ संगम स्नान और प्रयागेश्वर महादेव के दर्शन का विशेष महत्व है। कहा जाता है कि बिना प्रयागेश्वर के दर्शन के संगम स्नान अधूरा माना जाता है।

मंदिर की विशेषता

यह मंदिर संगम क्षेत्र के समीप स्थित है।

मकर संक्रांति, माघ स्नान, कुंभ और अर्धकुंभ के समय यहाँ भारी भीड़ उमड़ती है।

श्रद्धालु संगम स्नान कर प्रयागेश्वर महादेव का अभिषेक करके अपनी यात्रा को सफल मानते हैं।

प्रयागेश्वर महादेव मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि श्रद्धा और आस्था का केंद्र है। यहाँ आकर भक्त भगवान शिव की अनंत कृपा का अनुभव करते हैं और संगम की पवित्र धारा में स्नान कर जीवन को पावन बनाते हैं।

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