त्रिलोचनेश्वर महादेव उज्जैन – शिव के त्रिनेत्र स्वरूप का पवित्र मंदिर

उज्जैन स्थित त्रिलोचनेश्वर महादेव मंदिर भगवान शिव की तीसरी आंख का प्रतीक है। जानिए इसका इतिहास, धार्मिक महत्व, पूजन विधि और दर्शन का सर्वोत्तम समय।

त्रिलोचनेश्वर महादेव उज्जैन – शिव के त्रिनेत्र स्वरूप का पवित्र मंदिर

त्रिलोचनेश्वर महादेव मंदिर उज्जैन के प्रसिद्ध 84 महादेव मंदिरों में से एक है। यह मंदिर भगवान शिव के त्रिनेत्र (तीसरी आंख) का प्रतीक माना जाता है, जो ज्ञान, शक्ति और विनाश का स्वरूप दर्शाता है।

पौराणिक मान्यता:

मान्यता है कि जब शिव ने अपनी तीसरी आंख खोली थी, तब उस दिव्य शक्ति के प्रतीक स्वरूप त्रिलोचनेश्वर महादेव की स्थापना हुई। यह स्थान शिव भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है, विशेषकर सावन माह में यहाँ विशेष पूजन और दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है।

धार्मिक महत्व:

यह मंदिर न सिर्फ शिव की तीसरी आंख का प्रतीक है, बल्कि आत्मज्ञान, तपस्या और जागरूकता का भी प्रतीक माना जाता है। शिव के इस स्वरूप की पूजा करने से जीवन में आने वाले अंधकार का नाश होता है और आत्मबल की प्राप्ति होती है।

दर्शन एवं पूजन विधि:

श्रद्धालु प्रतिदिन भोलेनाथ का जलाभिषेक, बेलपत्र अर्पण और रुद्राभिषेक करते हैं। सावन, महाशिवरात्रि और सोमवार के दिन यहां विशेष भीड़ रहती है।

कैसे पहुँचें:

त्रिलोचनेश्वर महादेव मंदिर उज्जैन शहर में स्थित है और महाकालेश्वर मंदिर से अधिक दूर नहीं है। लोकल ऑटो या पैदल रास्ते से आसानी से पहुंचा जा सकता है।

त्रिलोचनेश्वर महादेव मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि भगवान शिव के दिव्य तेज और तीसरी आंख की ऊर्जा का अनुभव कराने वाला पवित्र स्थान है। अगर आप उज्जैन जाएं तो इस स्थान के दर्शन अवश्य करें।

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