श्रावण मास और भगवान शिव: भक्ति, विज्ञान और आध्यात्मिक ऊर्जा का संगम
श्रावण मास में शिव पूजा, व्रत और रुद्राभिषेक से पाएं विशेष फल। जानिए सावन सोमवार, शिव महिमा और उज्जैन महाकाल के महत्व के बारे में।

श्रावण मास, जिसे सावन भी कहा जाता है, हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष का पांचवां माह होता है। यह मास भगवान शिव को समर्पित होता है और पूरे भारतवर्ष में श्रद्धा, उपवास, पूजन और रुद्राभिषेक के साथ मनाया जाता है। इस महीने की हर सोमवारी (सोमवार) का विशेष महत्व है, जिसे श्रावण सोमवार व्रत के रूप में जाना जाता है।
क्यों है श्रावण मास भगवान शिव को प्रिय?
पौराणिक मान्यता के अनुसार, समुद्र मंथन के समय जब हलाहल विष निकला, तो संपूर्ण सृष्टि के कल्याण के लिए भगवान शिव ने वह विष अपने कंठ में धारण किया, जिससे वे नीलकंठ कहलाए। यह घटना श्रावण मास में ही घटी थी।
उस समय देवताओं ने शिवजी को गंगा जल चढ़ाया ताकि विष की गर्मी शांत हो सके। तभी से श्रावण मास में जलाभिषेक और विशेष पूजन की परंपरा आरंभ हुई।
श्रावण मास में क्या करें?
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सोमवार व्रत रखें: विशेष पुण्य फलदायक माने गए हैं।
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शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा, भस्म अर्पित करें।
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'ॐ नमः शिवाय' का जाप करें।
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रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय मंत्र, शिवपुराण का पाठ करें।
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श्रद्धा से शिव मंदिरों में दर्शन और सेवा करें।
श्रावण मास का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक महत्व
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वर्षा ऋतु में वायुमंडल शुद्ध होता है, जिससे ध्यान व साधना में विशेष सफलता मिलती है।
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उपवास और फलाहार से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
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यह समय मन और आत्मा को शुद्ध करने का है।
श्रावण सोमवार की विशेषता
हर सोमवार को शिवजी की पूजा से:
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विवाह में आ रही अड़चनें दूर होती हैं,
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संतान प्राप्ति की कामना पूरी होती है,
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रोगों से मुक्ति मिलती है,
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मनोकामनाएं शीघ्र पूरी होती हैं।
उज्जैन और महाकालेश्वर में श्रावण मास
उज्जैन स्थित श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में श्रावण मास के दौरान लाखों भक्त दर्शन के लिए आते हैं। भस्म आरती, जलाभिषेक और शिव नाम संकीर्तन से पूरा शहर शिवमय हो जाता है।
महत्वपूर्ण व्रत और तिथियां (श्रावण मास 2025)
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प्रथम सोमवार व्रत: 14 जुलाई
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श्रावण पूर्णिमा (रक्षाबंधन): 10 अगस्त
नाग पंचमी, हरियाली तीज, प्रदोष व्रत, शिवरात्रि आदि भी इस माह में आते हैं।
महाकाल की भक्ति के साथ श्रावण मनाएं
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