दर्श अमावस्या 2025: पितृ तर्पण और आध्यात्मिक मुक्ति का पावन अवसर
जानिए दर्श अमावस्या 2025 की तिथि, महत्व, पूजा विधि और पितरों की आराधना के अनुष्ठानों के बारे में विस्तार से। इस पवित्र दिन कैसे करें तर्पण और पाएं आध्यात्मिक शांति।

दर्श अमावस्या हिन्दू पंचांग में एक महत्वपूर्ण अमावस्या तिथि है, जो प्रत्येक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को दर्शाती है। यह दिन प्रतीकात्मक रूप से पितृ पूजा, तर्पण और आत्मशुद्धि का अवसर होता है। वर्ष 2025 में दर्श अमावस्या की तिथि 27 अप्रैल है, जिसे वैशाख अमावस्या भी कहा जाता है।
दर्श अमावस्या का महत्व
इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण किए जाते हैं। माना जाता है कि इस दिन किए गए उपवास, प्रार्थना और दान से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और परिवार पर सुख-समृद्धि आते हैं। संस्कृत में ‘दर्श’ का अर्थ दर्शन या देखने से है, इसका आशय यह है कि इस दिन पितृ आत्माएँ अपने वंशजों का दर्शन करती हैं।
दर्श अमावस्या के प्रमुख अनुष्ठान
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तर्पण विधि: पितृ तर्पण महज जल अर्पित करना नहीं, बल्कि श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक है। इस दिन जल अर्पण के साथ धूप, दीप और पंचामृत से पूजा की जाती है।
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श्राद्ध कर्म: पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करते हुए भोजन और दान किया जाता है।
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उपवास: कई श्रद्धालु इस दिन उपवास रखते हैं और संध्या प्रकाश के बाद पूजा करते हैं।
कैसा बनाएं दर्श अमावस्या विशेष?
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उपवास के बाद परिवारजनों के साथ मिलकर पितरों के लिए तर्पण और श्राद्ध करें।
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वातावरण को साफ-सुथरा रखें और धार्मिक गीत, भजन, या मंत्र जाप करें।
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जरूरतमंदों को भोजन दान करें, जिससे पुण्य की प्राप्ति हो।
दर्श अमावस्या हमें अपने पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता और सम्मान का त्यौहार सिखाती है। इस दिन किया गया श्रद्धापूर्वक अनुष्ठान हमारे जीवन में खुशहाली और आध्यात्मिक उन्नति लाता है। वर्ष 2025 की दर्श अमावस्या पर पवित्रता के साथ पूजा व तर्पण अवश्य करें और अपने परिवार में प्रेम व सौहार्द बढ़ाएं।
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