कृष्ण योगेश्वर द्वादशी: महत्व, पूजा विधि और धार्मिक कथा

कृष्ण योगेश्वर द्वादशी मार्गशीर्ष मास की द्वादशी तिथि को भगवान विष्णु के योगेश्वर स्वरूप की पूजा का पावन पर्व है। इस दिन तुलसी विवाह और दीपदान का विशेष महत्व होता है।

कृष्ण योगेश्वर द्वादशी: महत्व, पूजा विधि और धार्मिक कथा

मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि को कृष्ण योगेश्वर द्वादशी मनाई जाती है। यह पर्व भगवान विष्णु के योगेश्वर स्वरूप को समर्पित है, जो योग और आध्यात्मिकता के प्रतीक हैं। इस दिन भक्त वरवर पूजा, व्रत और दिव्य भजन-कीर्तन द्वारा अपने जीवन में समृद्धि और शांति की कामना करते हैं।

धार्मिक महत्व

कृष्ण योगेश्वर द्वादशी का विशेष महत्व भगवान विष्णु के उस रूप के रूप में है, जिन्होंने योग साधना के माध्यम से सृष्टि की रक्षा की। पौराणिक ग्रंथों में बताया गया है कि इस दिन भगवान विष्णु ने समुद्र मंथन के बाद लक्ष्मी माता के साथ प्रकट होकर भक्तों को आशीर्वाद दिया। यह तिथि योगप्रेमी और भक्तों के लिए मोक्ष के द्वार खोलने वाली होती है।

पूजा विधि

इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें। भगवान विष्णु की शुद्ध मन से पूजा-अर्चना करें। तुलसी, फूल, धूप, दीप और अष्टोपचार सहित पूजा की जाती है। विशेष रूप से विष्णु सहस्रनाम का जाप और पाठ करना शुभ माना जाता है। व्रत रखते हुए फलाहार या दूध-फल का सेवन करें और शाम में सात्विक भोजन करें। पूजा के अंत में दीपदान करें, जिससे घर और परिवार में सुख-समृद्धि आती है।

व्रत कथा और लाभ

कहा जाता है कि जो भक्त पूरी श्रद्धा और निष्ठा से इस द्वादशी का व्रत करता है, उसे भगवान विष्णु का विशेष आशीर्वाद मिलता है। यह व्रत मानसिक शांति, पाप निवारण और धन-समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है। साथ ही यह योग साधना के माध्यम से व्यक्ति के आध्यात्मिक विकास में सहायक होता है।

योगेश्वर रूप में भगवान कृष्ण

भगवान कृष्ण को योगेश्वर इसलिए कहा जाता है क्योंकि उन्होंने गीता के माध्यम से योग और धर्म की शिक्षा दी। उनका योगसाधक और सम्पूर्ण शक्ति वाला स्वरूप भक्तों को जीवन में संतुलन, ज्ञान और ध्यान की राह दिखाता है। इस द्वादशी के दिन उनकी पूजा से आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता है।

कृष्ण योगेश्वर द्वादशी जीवन में आध्यात्मिक उन्नति और भौतिक समृद्धि का सुवर्ण अवसर है। इस दिन व्रत, पूजा और भक्ति के माध्यम से भक्त भगवान विष्णु एवं योगेश्वर कृष्ण की कृपा प्राप्त कर सकेंगे। इस शुभ तिथि का लाभ उठाकर अपने जीवन को दिव्यता और शांति से भरें।

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