पौष माह 2024: 16 दिसंबर से होगा शुभारंभ, जानें इस पवित्र महीने के नियम और खास बातें

भारतीय पंचांग के अनुसार, पौष माह 16 दिसंबर 2024 से शुरू हो रहा है। यह हिंदू विक्रम संवत का दसवां महीना है और इसे सूर्य देव की उपासना के लिए अति उत्तम माना जाता है। पौष पूर्णिमा के दिन चंद्रमा पुष्य नक्षत्र में होता है, इसी कारण इस माह को 'पौष' नाम दिया गया है। यह महीना न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इस दौरान किए गए नियम और पूजा-अर्चना विशेष फलदायी मानी जाती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पौष माह में भगवान सूर्य नारायण ग्यारह हजार रश्मियों के साथ तपकर ठंड से राहत प्रदान करते हैं। इसलिए सूर्य की आराधना का विशेष महत्व इस माह में बताया गया है। भगवान भास्कर को परब्रह्म का स्वरूप माना गया है और उनकी उपासना से ऐश्वर्य, धर्म, यश, ज्ञान, और वैराग्य की प्राप्ति होती है।
इस माह को धनुर्मास भी कहा जाता है क्योंकि सूर्य धनु राशि में रहते हैं। धनु संक्रांति के साथ खरमास या मलमास का आरंभ होता है, जिसे शुभ कार्यों के लिए अनुकूल नहीं माना जाता। हालांकि, यह समय आध्यात्मिक साधना, तीर्थ यात्रा, और हवन जैसे कार्यों के लिए बहुत शुभ है।
पौष माह में क्या करें?
सूर्य को अर्घ्य दें: हर रविवार को तांबे के बर्तन में जल, लाल चंदन और लाल फूल डालकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित करें। 'ॐ सूर्याय नम:' मंत्र का जाप करें।
रविवार का व्रत रखें: व्रत के दौरान तिल और चावल की खिचड़ी का दान करें। व्रत का पारण शाम को मीठे भोजन से करें।
दान-पुण्य करें: जरूरतमंदों को कंबल, गर्म कपड़े, तिल और गुड़ का दान करें।
भगवान विष्णु की पूजा करें: इस महीने में विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करना अत्यंत लाभकारी होता है।
पौष माह में क्या न करें?
मांगलिक कार्य न करें: खरमास के कारण इस महीने में विवाह या अन्य शुभ कार्य वर्जित माने गए हैं।
मांस-मदिरा का सेवन न करें: पवित्रता बनाए रखने के लिए इनका त्याग करें।
नमक का सेवन वर्जित: व्रत के दौरान नमक का सेवन नहीं करना चाहिए।
पौष माह के व्रत और त्योहार
इस महीने के दौरान कई महत्वपूर्ण व्रत और त्योहार आते हैं, जो इस प्रकार हैं:
पौष शुक्ल एकादशी (सफल एकादशी)
पौष पूर्णिमा
लोहड़ी
मकर संक्रांति
पौष माह भारतीय सनातन धर्म में न केवल धार्मिक बल्कि आध्यात्मिक महत्व भी रखता है। इस दौरान सूर्य देव और भगवान विष्णु की उपासना विशेष फलदायी मानी जाती है। दान, व्रत, और नियमों का पालन करते हुए इस महीने को बिताना जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आध्यात्मिक संतोष का अनुभव कराता है।
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