मासिक शिवरात्रि 2024: आज है मार्गशीर्ष माह की मासिक शिवरात्रि, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, और व्रत कथा

मासिक शिवरात्रि 2024: आज है मार्गशीर्ष माह की मासिक शिवरात्रि, जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, और व्रत कथा

मासिक शिवरात्रि 2024 का पावन पर्व मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर, यानी 29 नवंबर 2024, शुक्रवार को मनाया जा रहा है। हिंदू धर्म में इस दिन का विशेष महत्व है। भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करने से भक्तों को सुख, शांति, और धन-वैभव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए इस शुभ दिन की संपूर्ण जानकारी प्राप्त करें।

मासिक शिवरात्रि का महत्व

मासिक शिवरात्रि हर माह की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और शिवलिंग पर बेलपत्र, पुष्प, और पंचामृत चढ़ाकर भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पूजा करने से जीवन की सभी परेशानियाँ समाप्त होती हैं और मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।

शुभ मुहूर्त (Masik Shivratri 2024 Puja Muhurat)

हिंदू पंचांग के अनुसार, पूजा के लिए आज निम्नलिखित समय शुभ रहेगा:
विजय मुहूर्त: दोपहर 01:54 बजे से 02:36 बजे तक
गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:21 बजे से 05:48 बजे तक
निशिता मुहूर्त: रात्रि 11:43 बजे से 12:37 बजे तक
अमृत काल: प्रात: 02:56 बजे से सुबह 04:42 बजे तक

मासिक शिवरात्रि पूजा विधि (Masik Shivratri Puja Vidhi)

स्नान और संकल्प: भक्त सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
पूजा का प्रारंभ: एक वेदी पर भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा स्थापित करें।
पंचामृत स्नान: शिवलिंग को पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, और जल) से स्नान कराएं।
श्रृंगार: भगवान शिव को चंदन, बेलपत्र, भस्म, धतूरा, और पुष्प अर्पित करें।
धूप-दीप: दीप जलाएं और धूप अर्पित करें।
शिव मंत्र का जाप: "ॐ नमः शिवाय" मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें।
भोग अर्पण: भगवान को फल, मिठाई, और पंचामृत का भोग लगाएं।
आरती: शिवजी की आरती करें और अंत में प्रसाद वितरित करें।

मासिक शिवरात्रि व्रत कथा (Masik Shivratri Vrat Katha)

मासिक शिवरात्रि से जुड़ी पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार एक गरीब शिकारी जंगल में शिकार की तलाश में भटक गया। संयोगवश, वह एक पेड़ के नीचे शिवलिंग के पास रात बिताने को मजबूर हुआ। रातभर जागते हुए उसने पेड़ से पत्ते तोड़कर शिवलिंग पर चढ़ाए। यह प्रक्रिया अनजाने में शिव पूजा बन गई। इसके फलस्वरूप उसके सभी पापों का नाश हुआ और उसे मोक्ष की प्राप्ति हुई।

व्रत का फल

मासिक शिवरात्रि व्रत रखने से भक्तों को विशेष फल की प्राप्ति होती है। इससे न केवल पापों का नाश होता है, बल्कि मनचाहा वरदान भी मिलता है। भोलेनाथ की कृपा से जीवन की सभी बाधाएँ दूर होती हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।

मासिक शिवरात्रि का पर्व शिवभक्तों के लिए अत्यंत पुण्यकारी होता है। इस दिन सच्चे मन से की गई आराधना से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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