शाकंभरी पूर्णिमा: देवी शाकंभरी का महापर्व

शाकंभरी पूर्णिमा: देवी शाकंभरी का महापर्व

हिन्दू धर्म में त्योहारों का विशेष महत्व है, जो समाज और संस्कृति को एकजुट रखते हैं। ऐसे ही एक महत्वपूर्ण पर्व है शाकंभरी पूर्णिमा, जो देवी शाकंभरी को समर्पित है। यह पर्व पौष माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन देवी शाकंभरी की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, जिन्हें माँ दुर्गा का अवतार माना जाता है और वे सब्जियों, फलों और अन्य वनस्पतियों की देवी के रूप में पूजी जाती हैं।

शाकंभरी देवी का परिचय

शाकंभरी देवी को कृषि, हरियाली और वनस्पतियों की देवी माना जाता है। उनके नाम का अर्थ है 'शाक' (सब्जी) और 'अंबरी' (फल), जो उनके भक्तों को अन्न, फल और सब्जियाँ प्रदान करने की उनकी शक्ति का प्रतीक है। पुराणों के अनुसार, जब पृथ्वी पर भयंकर अकाल पड़ा था और लोग भुखमरी से पीड़ित थे, तब देवी शाकंभरी ने अपने भक्तों के लिए शाक और अंबरी से पृथ्वी को हरा-भरा किया।

शाकंभरी पूर्णिमा का महत्व

शाकंभरी पूर्णिमा के दिन देवी शाकंभरी की पूजा की जाती है। इस दिन विशेष रूप से कृषि कार्यों से जुड़े लोग और किसान देवी की आराधना करते हैं। मान्यता है कि इस दिन देवी शाकंभरी की पूजा से सभी प्रकार के संकटों और आपदाओं से मुक्ति मिलती है और घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है।

रिवाज और परंपराएं

विशेष पूजा और अनुष्ठान: इस दिन भक्तजन देवी शाकंभरी की विशेष पूजा और अनुष्ठान करते हैं। पूजा के दौरान सब्जियों और फलों का भोग लगाया जाता है।

व्रत: कई भक्त इस दिन व्रत रखते हैं और देवी की कथा सुनते हैं।

भंडारा: कई जगहों पर इस दिन भंडारे का आयोजन किया जाता है, जिसमें प्रसाद के रूप में सब्जियों और फलों का वितरण किया जाता है।

शाकंभरी देवी की कथा

शाकंभरी देवी से जुड़ी कथा के अनुसार, जब पृथ्वी पर भयंकर अकाल पड़ा था और लोगों को खाने के लिए कुछ नहीं मिल रहा था, तब देवी ने शाक (सब्जियाँ) और अंबरी (फल) से पृथ्वी को हरा-भरा किया। इसी कारण इन्हें शाकंभरी देवी के नाम से जाना जाता है।

पर्व की आधुनिक प्रासंगिकता

आधुनिक युग में भी शाकंभरी पूर्णिमा का पर्व हमें प्रकृति के महत्व और उसके संरक्षण का संदेश देता है। यह हमें यह सिखाता है कि हमें प्रकृति के प्रति कृतज्ञ होना चाहिए और उसे संजोना चाहिए।

समापन

शाकंभरी पूर्णिमा का पर्व देवी शाकंभरी की कृपा और उनके द्वारा दिए गए आशीर्वादों के लिए कृतज्ञता प्रकट करने का दिन है। यह पर्व जीवन में हरियाली और समृद्धि का प्रतीक है और हमें प्रकृति के प्रति हमारा दायित्व याद दिलाता है। शाकंभरी पूर्णिमा के इस महापर्व पर, हम सब देवी शाकंभरी से सुख-समृद्धि और हरियाली की कामना करते हैं।

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