गुप्त नवरात्रि 2025: आठवें दिन मां महागौरी की पूजा विधि, कथा व लाभ

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि की महाअष्टमी पर मां महागौरी की पूजा विधि, स्वरूप, पौराणिक कथा, लाभ और कन्या पूजन की सम्पूर्ण जानकारी पाएं।

गुप्त नवरात्रि 2025: आठवें दिन मां महागौरी की पूजा विधि, कथा व लाभ

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2025 का आठवां दिन अत्यंत शुभ और विशेष माना गया है क्योंकि इस दिन मां महागौरी की विधिवत पूजा की जाती है। देवी महागौरी नवदुर्गा के आठवें स्वरूप हैं और उन्हें सौंदर्य, शांति, करुणा व पवित्रता की देवी माना जाता है। इस वर्ष महाअष्टमी तिथि 2 जुलाई 2025 (बुधवार) को पड़ रही है।

माना जाता है कि इस दिन विधिपूर्वक व्रत रखने और कन्या पूजन करने से देवी प्रसन्न होती हैं और जीवन के समस्त दुखों व पापों से मुक्ति प्रदान करती हैं।

मां महागौरी का स्वरूप और विशेषता

मां महागौरी को माता पार्वती का उज्ज्वल और शुभ्र स्वरूप माना गया है। उनके शरीर का वर्ण अत्यंत गौर है, जिसके कारण उन्हें 'महागौरी' कहा गया। उनके चार हाथ होते हैं—दाहिने हाथों में त्रिशूल और वरमुद्रा होती है, जबकि बाएं हाथों में डमरू और अभयमुद्रा होती है। वे सफेद वस्त्र धारण करती हैं और बैल (वृषभ) पर सवार होती हैं।

महाअष्टमी पूजन विधि 

  1. प्रातः ब्रह्ममुहूर्त में स्नान करके स्वच्छ व हल्के रंग के वस्त्र धारण करें।

  2. घर के पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें।

  3. एक चौकी पर सफेद वस्त्र बिछाकर मां महागौरी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।

  4. मां को सिंदूर, चूड़ियां, बिंदी, काजल, हल्दी, मेहंदी आदि वस्तुएं अर्पित करें।

  5. पूड़ी, काले चने, हलवा और सफेद मिठाई जैसे रसगुल्ले का भोग लगाएं।

  6. मंत्र जाप करें:

    • “ॐ देवी महागौर्यै नमः” का 108 बार जाप करें।

    • साथ ही यह मंत्र पढ़ें:
      "श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।
      महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा॥"

  7. अंत में मां महागौरी की आरती श्रद्धा से करें।

कन्या पूजन की विधि

महाअष्टमी के दिन 7 या 9 कन्याओं को देवी स्वरूप मानकर आमंत्रित करें।
उनके पांव धोकर उन्हें आसन पर बैठाएं।
पूजन करके उन्हें भोजन कराएं (पूड़ी, चना, हलवा)।
अंत में उन्हें दक्षिणा, वस्त्र या उपहार देकर विदा करें।
कन्या पूजन को नवरात्रि की सबसे प्रमुख धार्मिक क्रियाओं में माना गया है।

मां महागौरी की पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, देवी पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने हेतु कठिन तपस्या की थी। कठोर साधना के कारण उनका शरीर मलिन हो गया था। भगवान शिव जब प्रसन्न हुए, तो उन्होंने गंगाजल से मां पार्वती का स्नान कराया। इससे उनका शरीर उज्जवल और दिव्य हो गया। तभी से वे महागौरी कहलाईं।

मां महागौरी की पूजा के लाभ

जीवन में शांति, सौंदर्य और पवित्रता का वास होता है।
दाम्पत्य जीवन में प्रेम और समर्पण बढ़ता है।
आर्थिक कष्टों से छुटकारा और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
 सभी प्रकार के पापों का नाश होता है और जीवन में शुभता आती है।

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि का यह दिन मां महागौरी की कृपा पाने का श्रेष्ठ अवसर है। जो भक्त इस दिन श्रद्धा और विधिपूर्वक व्रत व पूजा करते हैं, उनके जीवन में देवी का आशीर्वाद बना रहता है। इस वर्ष 2 जुलाई 2025 को महाअष्टमी के दिन मां महागौरी की पूजा करना न भूलें और अपने परिवार व जीवन में सुख-शांति लाएं।

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