चन्द्रादित्येश्वर महादेव उज्जैन: कथा, महत्व, मंदिर का स्थान और पूजा विधि
जानिए उज्जैन स्थित चन्द्रादित्येश्वर महादेव की पौराणिक कथा, धार्मिक महत्व, मंदिर का स्थान और पूजा विधि। 84 महादेव यात्रा का 72वां स्थान।

उज्जैन नगरी का आध्यात्मिक महत्व सदियों से अतुलनीय माना जाता है। यही वह पावन भूमि है जहाँ महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग विराजमान हैं और जहाँ 84 महादेवों की परिक्रमा का विशेष महत्व है। इन्हीं में से एक अत्यंत अद्भुत स्वरूप हैं चन्द्रादित्येश्वर महादेव। यह शिवलिंग सूर्य और चन्द्रमा की तपस्या से प्रकट हुआ और आज भी भक्तों के लिए आस्था का महान केन्द्र है।
चन्द्रादित्येश्वर महादेव की कथा
पुराणों के अनुसार एक समय शम्बरासुर नामक असुर ने स्वर्ग पर अधिकार कर लिया था। देवता भयभीत होकर छिपने लगे। तब चन्द्रदेव और सूर्यदेव ने भगवान विष्णु की आराधना की और समाधान पूछा। भगवान विष्णु ने उन्हें महाकालेश्वर मंदिर के उत्तर में स्थित एक शिवलिंग की उपासना करने का निर्देश दिया।
सूर्य और चन्द्रमा ने कठोर तपस्या कर शिवलिंग की पूजा की। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर शिवलिंग से दिव्य अग्नि प्रकट हुई जिसने शम्बरासुर और उसके दैत्यों का विनाश कर दिया। तभी आकाशवाणी हुई कि यह शिवलिंग अब से चन्द्रादित्येश्वर महादेव के नाम से प्रसिद्ध होगा।
मंदिर और स्थान
चन्द्रादित्येश्वर महादेव का मंदिर उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर परिसर के समीप कोटि तीर्थ क्षेत्र में स्थित है। यह 84 महादेवों की यात्रा का 72वां स्थान माना जाता है। यहाँ आकर दर्शन करने से जीवन के अनेक कष्ट और ग्रहदोष स्वतः ही दूर हो जाते हैं।
धार्मिक महत्व और आस्था
भक्तों का विश्वास है कि—
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चन्द्रादित्येश्वर महादेव के दर्शन मात्र से ग्रहदोष (जैसे राहु-केतु, शनि आदि) शांत हो जाते हैं।
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मनुष्य को पापों से मुक्ति और स्वर्गलोक की प्राप्ति होती है।
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यह स्थान सूर्य और चन्द्रमा दोनों की ऊर्जा का संगम है, इसलिए यहाँ पूजा करने से संतुलन और सकारात्मकता जीवन में बढ़ती है।
पूजन और विशेष अवसर
श्रावण मास (सावन) में यहाँ विशेष भीड़ रहती है। भक्त जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक और रुद्राभिषेक करके महादेव को प्रसन्न करते हैं।
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सावन सोमवारी के दिन विशेष अनुष्ठान होते हैं।
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नवरात्रि और शंकराचार्य जयंती पर भी यहाँ विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
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इस मंदिर में माँ कामाख्या और आदि शंकराचार्य की प्रतिमाएँ भी स्थापित हैं, जिससे यह स्थल और अधिक पावन बन जाता है।
आध्यात्मिक संदेश
चन्द्रादित्येश्वर महादेव यह दर्शाते हैं कि जब सूर्य (प्रकाश, शक्ति, कर्म) और चन्द्र (शांति, भावनाएँ, शीतलता) दोनों एक साथ शिव की शरण में जाते हैं तो दिव्य संतुलन की प्राप्ति होती है। यह स्थान हमें यह शिक्षा देता है कि जीवन में संतुलन, संयम और आस्था से ही विजय संभव है।
उज्जैन यात्रा केवल महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग तक सीमित नहीं है, बल्कि 84 महादेवों के दर्शन से यह यात्रा पूर्ण होती है। उनमें चन्द्रादित्येश्वर महादेव का विशेष महत्व है। श्रद्धालु मानते हैं कि यहाँ दर्शन मात्र से ही सारे दुख दूर हो जाते हैं और जीवन में नई ऊर्जा का संचार होता है।
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