बंगाल में दुर्गा अष्टमी पूजा: भक्ति, परंपरा और सांस्कृतिक उत्सव

दुर्गा अष्टमी 2025: मां दुर्गा की पूजा का पवित्र दिन, जिसमें कन्या पूजन और संधि पूजा का विशेष महत्व है। शक्ति और समृद्धि के लिए इस शुभ दिन पर मां दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त करें।

बंगाल में दुर्गा अष्टमी पूजा: भक्ति, परंपरा और सांस्कृतिक उत्सव

बंगाल में दुर्गा अष्टमी का दिन अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण माना जाता है। यह नवरात्रि पर्व का आठवां दिन होता है जब माँ दुर्गा के महागौरी स्वरूप की भव्य पूजा की जाती है। बंगाल में यह पर्व सिर्फ धार्मिक उत्सव नहीं बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक एकता का प्रतीक भी है।

दुर्गा अष्टमी के मुख्य अनुष्ठान

सबसे प्रमुख पूजा संधि पूजा है, जो अष्टमी और नवमी के बीच की संधि बेला में की जाती है। माना जाता है कि इसी समय माता दुर्गा ने महिषासुर का वध किया था। इस पूजा में 108 दीपक और 108 फूल अर्पित किए जाते हैं जिससे पूजा का माहौल अत्यंत पावन हो जाता है।

कन्या पूजन या कुमारी पूजा भी अष्टमी की विशेष परंपरा है, जिसमें नौ छोटी कन्याओं को देवी दुर्गा का रूप मानकर भोजन कराया जाता है और उन्हें उपहार दिए जाते हैं। यह भक्ति और श्रद्धा का अद्भुत प्रतीक है।

सांस्कृतिक उत्सव और सामाजिक एकता

बंगाल की दुर्गा अष्टमी पूजा भव्य पंडालों में होती है जहां पारंपरिक ढ़ोल-ढमाके के बीच भजन-कीर्तन और नृत्य होते हैं। लोग रंग-बिरंगे पारंपरिक वस्त्र पहन कर माँ दुर्गा की आराधना में लीन होते हैं। यह उत्सव न केवल आध्यात्मिक है, बल्कि बंगाली समाज की सांस्कृतिक विरासत को भी जीवित रखता है।

बंगाल में दुर्गा अष्टमी पूजा, भक्ति और संस्कृति का अद्भुत संगम है। यह दिन देवी की शक्ति, करुणा और माँ के प्रति प्रेम का उत्सव मनाने का अवसर है। इस पर्व के माध्यम से बंगाल की जनता अपनी आस्था, सामंजस्य और सांस्कृतिक धरोहर को निखारती है।

दुर्गा अष्टमी बंगाल में न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक गर्व का प्रतीक है। यही कारण है कि इसे पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है।

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