महाकुंभ 2025: प्रयागराज में स्नान का महत्व और अमृत स्नान की तिथियां

महाकुंभ क्या है?
महाकुंभ मेला हर 12 साल में आयोजित होने वाला सबसे बड़ा धार्मिक पर्व है। यह आयोजन हरिद्वार, प्रयागराज, उज्जैन और नासिक में होता है। 2025 में यह महाकुंभ प्रयागराज में होगा। इस मेले का मुख्य आकर्षण संगम (गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती) में स्नान है। ऐसा माना जाता है कि इस दौरान स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
महाकुंभ में स्नान का महत्व
1. पवित्र नदियों में स्नान:
गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान करने से आत्मा की शुद्धि होती है और सभी दोष समाप्त हो जाते हैं।
2. पौराणिक कथा:
समुद्र मंथन के समय अमृत कलश से अमृत की बूंदें प्रयागराज सहित चार स्थानों पर गिरी थीं। इसलिए इन स्थानों पर स्नान को अमृत स्नान कहा जाता है।
3. मोक्ष की प्राप्ति:
महाकुंभ में स्नान करने से जीवन और मृत्यु के चक्र से मुक्ति मिलती है। इसे मोक्ष का मार्ग माना गया है।
4. धार्मिक वातावरण:
यहां लाखों साधु-संत और श्रद्धालु आते हैं। उनका आशीर्वाद और धार्मिक ज्ञान प्राप्त करना एक अद्भुत अनुभव होता है।
अमृत स्नान की तिथियां (प्रयागराज 2025)
महाकुंभ के दौरान कुछ विशेष दिन ऐसे होते हैं जिन्हें शाही स्नान या अमृत स्नान कहा जाता है। इन दिनों का महत्व ज्योतिषीय गणनाओं पर आधारित होता है।
महत्वपूर्ण स्नान तिथियां:
1. मकर संक्रांति (14 जनवरी 2025): यह पहला शाही स्नान होगा।
2. पौष पूर्णिमा (25 जनवरी 2025): यह दूसरा मुख्य स्नान होगा।
3. मौनी अमावस्या (11 फरवरी 2025): सबसे बड़ा स्नान पर्व।
4. बसंत पंचमी (16 फरवरी 2025): यह भी शुभ दिन है।
5. माघ पूर्णिमा (25 फरवरी 2025): यह अंतिम प्रमुख स्नान होगा।
महाकुंभ एक ऐसा अवसर है जो आध्यात्मिकता, श्रद्धा और संस्कृति का संगम है। प्रयागराज में होने वाला महाकुंभ 2025 न केवल धार्मिक दृष्टि से बल्कि आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। अमृत स्नान का यह अवसर सभी को जीवन में कम से कम एक बार जरूर प्राप्त करना चाहिए।
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