महालया अमावस्या 2025: तिथि, महत्व, पौराणिक कथा और पूजा विधि

जानिए महालया अमावस्या 2025 की तिथि, महत्व, पौराणिक कथा, पितृ तर्पण मुहूर्त और पूजा विधि। महालया पर श्राद्ध और देवी दुर्गा आराधना का महत्व।

महालया अमावस्या 2025: तिथि, महत्व, पौराणिक कथा और पूजा विधि

महालया अमावस्या 2025 कब है?

हिंदू पंचांग के अनुसार, महालया अमावस्या 2025 में रविवार, 21 सितंबर को पड़ेगी।

  • अमावस्या तिथि शुरू: 21 सितंबर, सुबह 12:16 बजे

  • अमावस्या तिथि समाप्त: 22 सितंबर, सुबह 1:23 बजे
    यह दिन पितृ पक्ष का आखिरी दिन होता है, जिसे सर्वपितृ अमावस्या भी कहा जाता है। इसी दिन पितरों को विदाई दी जाती है और माता दुर्गा के पृथ्वी पर आगमन का स्वागत किया जाता है।

महालया का महत्व

  1. पितृ पक्ष का समापन – यह दिन पितरों के श्राद्ध और तर्पण का अंतिम अवसर होता है। मान्यता है कि इस दिन पितर अपने लोक वापस लौट जाते हैं।

  2. देवी पक्ष की शुरुआत – महालया से शारदीय नवरात्र और दुर्गा पूजा की शुरुआत मानी जाती है। पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में इसे विशेष उत्साह से मनाया जाता है।

  3. देवी का आगमन – मान्यता है कि इसी दिन माता दुर्गा कैलाश पर्वत से धरती पर आती हैं और भक्तों को आशीर्वाद देती हैं।

  4. धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व – मूर्तिकार दुर्गा प्रतिमाओं की आंखें महालया के दिन ही रंगते हैं, जिसे “चक्षु दान” कहा जाता है।

महालया की पौराणिक कथा

पौराणिक मान्यता के अनुसार, असुर महिषासुर को वरदान था कि उसे कोई देवता या मनुष्य नहीं मार सकता। उसके अत्याचार से त्रस्त होकर ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने अपनी शक्तियों को मिलाकर आदिशक्ति दुर्गा का प्राकट्य किया। देवताओं ने देवी दुर्गा को अलग-अलग दिव्य अस्त्र-शस्त्र प्रदान किए। अंत में, देवी ने महिषासुर का वध कर धर्म की स्थापना की। इसी कारण महालया को असुर पराजय और देवी शक्ति की विजय का प्रतीक माना जाता है।

महालया अमावस्या 2025 पर तर्पण का शुभ मुहूर्त

  • कुतुप मुहूर्त: सुबह 11:50 से दोपहर 12:38 बजे तक

  • रौहिण मुहूर्त: दोपहर 12:38 से 1:27 बजे तक

  • अपराह्न काल: दोपहर 1:27 से 3:53 बजे तक
    इन मुहूर्तों में पितरों का तर्पण, पिंडदान और श्राद्ध करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

महालया पर करने योग्य कार्य

  1. सुबह जल्दी उठकर स्नान-ध्यान करें और शुद्ध वस्त्र धारण करें।

  2. नदी, तालाब या घर पर पितरों के लिए तर्पण और पिंडदान करें।

  3. ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान-दक्षिणा दें।

  4. कौओं, गायों, कुत्तों और चींटियों को भोजन अर्पित करें।

  5. रात में नदी किनारे या घर में दीपदान करें।

  6. देवी दुर्गा की आराधना करें और महिषासुर मर्दिनी स्तोत्र का पाठ करें।

महालया पर क्या न करें

  • किसी का दिल न दुखाएं, मन में द्वेष और क्रोध न रखें।

  • घर को गंदा न छोड़ें, स्वच्छता का विशेष ध्यान रखें।

  • नशा या तामसिक भोजन से बचें।

महालया अमावस्या 2025 इस वर्ष 21 सितंबर (रविवार) को मनाई जाएगी। यह दिन पितरों को विदाई देने और माता दुर्गा के आगमन का स्वागत करने का अद्भुत संगम है। जहां एक ओर पितृ पक्ष की समाप्ति होती है, वहीं दूसरी ओर दुर्गा पूजा और नवरात्रि की शुरुआत होती है। इस दिन श्रद्धा और भक्ति से किए गए तर्पण और पूजा से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और देवी मां के आशीर्वाद से घर-परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

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