हरछठ व्रत 2025: तिथि, पूजा विधि, नियम व महत्व
हरछठ व्रत 2025 की तिथि, पूजा विधि, नियम और धार्मिक महत्व जानें। बलराम जयंती व संतान की लंबी आयु के लिए इस व्रत का महत्व समझें।

सनातन धर्म में भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान बलराम जयंती और हरछठ व्रत मनाया जाता है। इसे हलषष्ठी, हलछठ या ललही छठ के नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत मुख्यतः संतान की लंबी आयु, सुख-समृद्धि और परिवार की खुशहाली के लिए किया जाता है।
कब है हरछठ व्रत 2025?
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तिथि: गुरुवार, 14 अगस्त 2025
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षष्ठी तिथि प्रारंभ: 14 अगस्त, प्रातः 04:23 बजे
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षष्ठी तिथि समाप्त: 15 अगस्त, दोपहर 02:07 बजे
उदया तिथि के आधार पर हरछठ व्रत और बलराम जयंती 14 अगस्त को ही मान्य होगी।
हरछठ व्रत की पूजा विधि
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प्रातःकाल स्नान करके व्रत का संकल्प लें।
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पूजा सामग्री में रखें:
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पलाश की टहनी
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कुशा
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छह प्रकार के अनाज (गेहूं, चना, धान, जौ, अरहर, मक्का)
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मूंग, महुआ, फूल, फल आदि
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एक चौकी पर छठी माता का चित्र स्थापित करें।
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साथ में गणेश-गौरी और कलश रखें।
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मिट्टी के कुल्हड़ में महुआ व अन्य सामग्री रखें।
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छठी माता की पूजा व कथा करें।
अंत में आरती कर संतान और परिवार की सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करें।
हरछठ व्रत के नियम
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हल से जुती जमीन पर चलना वर्जित है।
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हल से तैयार अन्न का सेवन न करें, इसके स्थान पर फसही चावल का प्रयोग करें।
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गाय के दूध का उपयोग पूजा व भोजन में नहीं किया जाता, इसकी जगह भैंस का दूध प्रयोग होता है।
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कई स्थानों पर इस दिन महुआ का दातून करने की परंपरा है।
धार्मिक महत्व
मान्यता है कि इस दिन शेषावतार भगवान बलराम का जन्म हुआ था। उन्हें हलधर कहा जाता है, क्योंकि उनका मुख्य अस्त्र हल है।
इस व्रत को करने से भगवान बलराम संतान की रक्षा करते हैं और सुख-समृद्धि प्रदान करते हैं।
हरछठ व्रत केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं, बल्कि यह परिवार की खुशहाली और संतान की लंबी आयु की कामना का पावन अवसर भी है।
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