चैती छठ: सूर्योपासना और आस्था का अनुपम पर्व

चैती छठ: सूर्योपासना और आस्था का अनुपम पर्व

भारत की सांस्कृतिक परंपराओं में कई ऐसे पर्व हैं जो न केवल धार्मिक भावनाओं को अभिव्यक्त करते हैं, बल्कि जीवन में अनुशासन, समर्पण और शुद्धता को भी दर्शाते हैं। ऐसा ही एक पर्व है चैती छठ, जो सूर्य देव और छठ मइया की उपासना के लिए प्रसिद्ध है। यह पर्व खासतौर पर बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में अत्यंत श्रद्धा और भक्ति भाव से मनाया जाता है।

चैती छठ का महत्व
चैती छठ, सूर्य देव की उपासना का एक विशेष पर्व है, जो हर वर्ष चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। यह पर्व जीवन में सुख-समृद्धि, आरोग्यता और संतान सुख की प्राप्ति के लिए किया जाता है। मान्यता है कि छठ पूजा से सूर्य देव प्रसन्न होते हैं और व्रती को विशेष आशीर्वाद प्रदान करते हैं।

चार दिवसीय छठ व्रत की प्रक्रिया

  1. नहाय-खाय
    इस दिन व्रती सूर्योदय से पहले स्नान कर सात्विक भोजन ग्रहण करते हैं। घर की सफाई की जाती है और पूजा की तैयारी शुरू होती है।

  2. खरना
    व्रत का दूसरा दिन होता है खरना। इस दिन व्रती दिनभर उपवास रखते हैं और शाम को गुड़ की खीर, रोटी और फल का प्रसाद ग्रहण करते हैं। इसके बाद 36 घंटे का निर्जल व्रत शुरू होता है।

  3. संध्या अर्घ्य
    तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाता है। व्रती महिलाएं नदी या तालाब के किनारे जल में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं और पारंपरिक छठ गीत गाती हैं।

  4. प्रातः अर्घ्य
    अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन होता है। इसके बाद व्रती फल, ठेकुआ, और अन्य प्रसाद ग्रहण करते हैं।

छठ पूजा की विशेषताएं
चैती छठ एक बेहद अनुशासनपूर्ण और शुद्धता पर आधारित पर्व है। इस पूजा में इस्तेमाल होने वाले बांस के सूप, दउरा, दीया, ठेकुआ, केला, नारियल आदि का विशेष महत्व होता है। पूजा स्थल को स्वच्छ और भव्य रूप से सजाया जाता है, और दीपों की रोशनी से पूरा वातावरण भक्तिमय हो जाता है।

पर्यावरण और छठ पर्व
छठ पूजा केवल धार्मिक नहीं, बल्कि पर्यावरणीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। यह पर्व स्वच्छता, नदियों की पवित्रता और प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग की सीख देता है। बायोडिग्रेडेबल पूजा सामग्री और सामूहिक सफाई अभियान इस पर्व को और भी सार्थक बनाते हैं।

चैती छठ एक ऐसा पर्व है जो भारतीय संस्कृति की गहराई, प्रकृति प्रेम और आत्मानुशासन का अद्वितीय उदाहरण है। यह पर्व नारी शक्ति के संकल्प, आस्था और त्याग को दर्शाता है। यदि आप भी इस वर्ष चैती छठ का व्रत करने जा रहे हैं, तो पूरी श्रद्धा और नियमों के साथ इस पर्व को मनाएं और सूर्य देव से अपने जीवन के हर क्षेत्र में उजाला मांगें।

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