नवरात्रि 2024: छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा विधि, व्रत कथा, मंत्र, आरती और भोग

नवरात्रि के छठे दिन माँ दुर्गा के कात्यायनी रूप की पूजा की जाती है। इस दिन माँ कात्यायनी की आराधना से भक्तों को शत्रुओं पर विजय, जीवन में सफलता और समृद्धि प्राप्त होती है। माँ कात्यायनी की पूजा विशेष महत्व रखती है, क्योंकि यह रूप देवी दुर्गा के शक्तिशाली स्वरूपों में से एक है। इस लेख में हम माँ कात्यायनी की व्रत कथा, पूजा विधि, मंत्र, आरती और भोग के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।

माँ कात्यायनी का स्वरूप

माँ कात्यायनी चार भुजाओं वाली हैं और उनका वाहन सिंह है। उनके एक हाथ में तलवार और दूसरे हाथ में कमल का फूल है। एक हाथ वर मुद्रा में है, जो आशीर्वाद देने का प्रतीक है, जबकि दूसरा हाथ अभय मुद्रा में है, जो भय का नाश करता है। माँ का स्वरूप सोने के समान चमकीला है, जो उनकी दिव्यता और शक्ति को दर्शाता है।

माँ कात्यायनी व्रत कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, महर्षि कात्यायन ने माँ भगवती की कठोर तपस्या की थी। उनकी इच्छा थी कि उन्हें पुत्री प्राप्त हो। माँ भगवती ने प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया कि वह उनके घर पुत्री रूप में जन्म लेंगी। इसी कारण से माँ का नाम कात्यायनी पड़ा। इसी बीच, महिषासुर नामक राक्षस ने त्रिलोक में आतंक मचाया। तब देवी कात्यायनी ने महिषासुर का वध कर देवताओं और ऋषियों की रक्षा की।

माँ कात्यायनी की पूजा विधि

  1. प्रातःकाल स्नान करके हरे या पीले वस्त्र धारण करें।
  2. माँ कात्यायनी का ध्यान करें और उन्हें लाल फूल अर्पित करें।
  3. दीप, धूप, गंध, और अक्षत से माँ की पूजा करें।
  4. माँ को शहद का भोग लगाएं।
  5. माँ कात्यायनी के मंत्रों का जाप करें।
  6. पूजा के अंत में माँ की आरती करें और प्रसाद सभी में वितरित करें।

मां कात्यायनी मंत्र 

  • कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि ।
    नन्दगोपसुतं देविपतिं मे कुरु ते नमः ॥
  • ध्यान मंत्र
    "वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
    सिंहारूढा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्विनीम्॥"

मां कात्यायनी की आरती 

जय जय अंबे जय कात्यायनी।
जय जगमाता जग की महारानी।।
बैजनाथ स्थान तुम्हारा।
वहां वरदाती नाम पुकारा।।

माँ कात्यायनी को प्रिय भोग

माँ कात्यायनी को शहद का भोग अत्यंत प्रिय है। ऐसा माना जाता है कि शहद का भोग लगाने से माँ शीघ्र प्रसन्न होती हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करती हैं। साथ ही, उनके समक्ष हल्दी की गांठें भी चढ़ाई जाती हैं, जिन्हें पूजा के बाद अपने पास रखना शुभ माना जाता है।

माँ कात्यायनी की पूजा के शुभ मुहूर्त (2024)

  • प्रातःकाल पूजा का शुभ मुहूर्त: 04:39 से 06:17
  • अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:45 से 12:32
  • सायंकाल पूजा मुहूर्त: 06:00 से 07:14

निष्कर्ष

माँ कात्यायनी की पूजा नवरात्रि के छठे दिन विशेष रूप से की जाती है। उनकी आराधना से व्यक्ति को शत्रुओं पर विजय, रोगों का नाश, और समस्त कष्टों से मुक्ति मिलती है। नवरात्रि में माँ की पूजा विधि, मंत्र, कथा, और आरती का पालन कर भक्त माँ का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

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