धनतेरस 2024: तिथि, इतिहास, महत्व, और अनुष्ठान

धनतेरस का परिचय
धनतेरस का पर्व, जिसे 'धन त्रयोदशी' के नाम से भी जाना जाता है, दीपावली से पहले मनाया जाने वाला पांच दिवसीय त्योहार का पहला दिन होता है। यह दिन आयुर्वेद के देवता भगवान धन्वंतरि को समर्पित है, जो स्वास्थ्य, धन और समृद्धि की कामना के प्रतीक माने जाते हैं। इस दिन लोग भगवान धन्वंतरि और देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं और नई वस्त्र, आभूषण, बर्तन, वाहन आदि खरीदते हैं ताकि उनके जीवन में सुख और समृद्धि बनी रहे।
धनतेरस का इतिहास
धनतेरस का संबंध समुद्र मंथन से जुड़ा है। कथा के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए थे। इसलिए धनतेरस पर उनकी पूजा की जाती है। इस दिन लोग भगवान कुबेर की भी पूजा करते हैं, जो धन के देवता माने जाते हैं। यह पर्व कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है।
धनतेरस पूजा का मुहूर्त 2024
धनतेरस 2024 में 29 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त इस प्रकार है:
- प्रदोष काल: शाम 6:01 बजे से रात 8:27 बजे तक
- वृषभ काल: शाम 7:04 बजे से रात 9:00 बजे तक
धनतेरस का महत्व
धनतेरस का पर्व संपत्ति और सुख-समृद्धि का प्रतीक है। इस दिन किए गए क्रय-विक्रय से जीवन में बरकत आती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति इस दिन भगवान धन्वंतरि और कुबेर देव की पूजा करता है, उसे रोगों से मुक्ति और धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
धनतेरस की कहानी
कहा जाता है कि भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण कर असुर राजा बलि से पृथ्वी और स्वर्ग को नापा और उसे समृद्धि का आशीर्वाद दिया। इसलिए, धनतेरस को बलि के जन्मदिन के रूप में भी मनाया जाता है, जिसमें धन-संपत्ति की समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
धनतेरस कैसे मनाएं
धनतेरस के दिन लोग स्वर्ण, रजत, पीतल और अन्य धातुओं से बने बर्तन खरीदते हैं। इसके अलावा, लोग लक्ष्मी और गणेश की मूर्तियों, झाड़ू और अनाज जैसे वस्त्रों की खरीदारी करते हैं। घर की सफाई, रंगोली, दीया जलाना और लक्ष्मी-कुबेर की पूजा इस पर्व का मुख्य भाग हैं। पूजा के बाद प्रसाद वितरित किया जाता है।
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