सनातन धर्म में "मुहूर्त" का अत्यंत विशिष्ट स्थान है। जब भी कोई शुभ कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, नामकरण संस्कार या व्यापार प्रारंभ किया जाता है, तो पहले श्रेष्ठ मुहूर्त निकाला जाता है। ऐसा क्यों? क्योंकि सनातन संस्कृति में केवल "क्या करना है" नहीं, बल्कि "कब करना है" भी उतना ही महत्वपूर्ण माना गया है।
मुहूर्त का अर्थ क्या है?
"मुहूर्त" संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है — विशेष रूप से शुभ समय। यह वह समय होता है जब ग्रहों, नक्षत्रों और अन्य खगोलीय शक्तियों का समन्वय कार्य की सफलता के लिए अनुकूल होता है।
एक मुहूर्त आमतौर पर निम्नलिखित के आधार पर तय किया जाता है:
तिथि (चंद्रमा के अनुसार दिन)
वार (सप्ताह का दिन)
नक्षत्र (चंद्रमा का नक्षत्र)
योग और करण
ग्रहों की स्थिति और राशि
मुहूर्त का वैज्ञानिक दृष्टिकोण
मुहूर्त केवल परंपरा नहीं है; इसमें गहन खगोलशास्त्र और मनोवैज्ञानिक विज्ञान भी छुपा है:
ग्रहों और नक्षत्रों की ऊर्जा हमारे वातावरण और मनःस्थिति को प्रभावित करती है।
सही समय पर आरंभ किया गया कार्य प्राकृतिक ऊर्जाओं के सहयोग से अधिक सफल होता है।
मौसम, दिन-रात्रि चक्र, चंद्र और सौर विकिरण भी मानव व्यवहार और स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं — ये सब मुहूर्त चयन में ध्यान में रखे जाते हैं।
प्रमुख कार्यों में मुहूर्त का महत्व
विवाह — जीवनभर की साझेदारी में ग्रहों का संतुलन आवश्यक गृह प्रवेश — नए घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह सुनिश्चित करना नामकरण संस्कार — बच्चे के जीवन पर शुभ प्रभाव डालना व्यापार आरंभ — आर्थिक सफलता और वृद्धि के लिए सही ऊर्जा प्राप्त करना उपनयन संस्कार — अध्यात्मिक जागृति के शुभ समय में आरंभ करना
क्या बिना मुहूर्त के कार्य असफल हो सकते हैं?
संभव है कि कार्य फिर भी सफल हो जाएं, लेकिन मुहूर्त का पालन करने से:
अनावश्यक बाधाएं कम होती हैं।
मनोबल और आत्मविश्वास बढ़ता है।
कार्य में स्थायित्व और समृद्धि आती है।
सनातन धर्म समय को केवल एक भौतिक घटना नहीं, बल्कि एक जीवित शक्ति मानता है। समय को सम्मान देना, शुभ समय का चयन करना और उसके अनुसार कार्य करना — यही मुहूर्त का सार है।
महाकाल.com के माध्यम से आप किसी भी कार्य के लिए उचित मुहूर्त की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन को शुभता से भर सकते हैं।
महाकाल.com पर अनुभवी आचार्यों से अपने लिए उत्तम मुहूर्त जानिए और अपने जीवन के हर शुभ कार्य को सिद्ध बनाइए!