पूजा के बारे में
वैदिक ज्योतिष में बृहस्पति और राहु की युति को बेहद अशुभ माना जाता है। इस युति को "गुरु चांडाल दोष" कहा जाता है, जो व्यक्ति के जीवन में भ्रम, मानसिक अस्थिरता, आध्यात्मिक गिरावट, करियर में बाधाएं और रिश्तों में कड़वाहट जैसे प्रभाव ला सकता है। इस दोष को शांत करने के लिए, यह विशेष पूजा आयोजित की जाती है जिसमें राहु मूल मंत्र का 18,000 बार जाप किया जाता है और बृहस्पति मूल मंत्र का 16,000 बार जाप किया जाता है, इसके बाद पूर्ण हवन किया जाता है। यह अनुष्ठान राहु की छाया को शांत करता है और बृहस्पति की सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है। यह पूजा उन लोगों के लिए विशेष रूप से फलदायी है जिनकी कुंडली में राहु-बृहस्पति की युति है, या जो अपने जीवन में अचानक बाधाओं, मानसिक चिंता, निर्णय लेने में भ्रम या गुरु-दोष संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे हैं। यह अनुष्ठान न केवल आध्यात्मिक शुद्धि प्रदान करता है