मार्गशीर्ष मास - हिन्दू पंचांग का शुभ और पावन महीना
मार्गशीर्ष मास 2025 का आरंभ 16 नवंबर से होगा। इसमें लक्ष्मी पूजा, गीता जयंती और वैकुंठ एकादशी का विशेष महत्व है।
मार्गशीर्ष मास हिंदू पंचांग का नौवां शुभ महीना है, जो विशेष धार्मिक महत्व और आध्यात्मिक ऊर्जा से भरा होता है। इसे ‘अगहन’ और दक्षिण भारत में ‘मार्ग़ज़ी’ के नाम से भी जाना जाता है। इस मास को भगवान विष्णु और श्रीकृष्ण के साथ विशेष रूप से जोड़ा गया है, और भगवान कृष्ण ने स्वयं भगवद गीता में कहा है कि 'मैं महीनों में मार्गशीर्ष हूं।'
धार्मिक महत्व और उत्सव
मार्गशीर्ष मास में कई धार्मिक कृत्यों और व्रतों का आयोजन किया जाता है। यह मास धार्मिक पवित्रता, दान-पुण्य, और भगवान विष्णु एवं देवी लक्ष्मी की आराधना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इस महीने में गुरुवार के दिन लक्ष्मी पूजा का विशेष स्थान है, जहाँ आठ रूपों में देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है जिससे समृद्धि और धन की प्राप्ति होती है।
इस मास में गीता जयंती और वैकुंठ एकादशी जैसे प्रमुख त्योहार आते हैं, जिन्हें बड़े श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। गंगा या किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान का भी धर्म-कर्म में विशेष महत्व है। स्नान करने से व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं और उसके जीवन में शांति और समृद्धि आती है।
मार्गशीर्ष मास की शुरुआत
उत्तर भारतीय पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास वर्ष 2025 में 16 नवंबर से 15 दिसंबर तक रहेगा जबकि दक्षिण भारतीय पंचांग में यह 2 दिसंबर से 30 दिसंबर तक माना जाता है। मास की शुरुआत से पहले व्यक्ति को शुद्धिकरण और धार्मिक अनुष्ठान करने चाहिए जो मास के पुण्य को और बढ़ाते हैं।
मार्गशीर्ष मास में पालन करने वाले नियम व उपाय
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इस मास में सतविक आहार का पालन करना चाहिए और तामसिक एवं राजसिक भोजन से बचना चाहिए।
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भगवान विष्णु और गणेश जी का पूजन करके व्रत किया जाता है।
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गंगा जल से स्नान करना और अपनी रोज़मर्रा की पूजा में गंगा जल का प्रयोग करना शुभ माना जाता है।
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दान-पुण्य, खाद्य सामग्री और वस्त्र देने का पुण्य अत्यधिक माना गया है।
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व्रती व्यक्ति को अहिंसा, संयम और सच्चाई का पालन करना चाहिए।
मुख्य अनुष्ठान
मार्गशीर्ष पावन मास में गुरुवार को विशेष पूजा और व्रत रखा जाता है। विशेष रूप से लक्ष्मी माता की आठ रूपों में पूजा की जाती है जैसे श्री धन लक्ष्मी, श्री गज लक्ष्मी आदि। एक कलश सजाकर, उसमें जल, आम के पत्ते, सुपारी, चावल और सिक्के डालकर विधिपूर्वक पूजा की जाती है।
व्रती दिन में ब्राह्मण को भोजन कराना भी अत्यंत शुभ होता है। व्रत को सूर्यास्त के बाद तोड़ा जाता है जिसमें नौ प्रकार के खाद्य पदार्थ और मिठाई शामिल होती है।
अतः मार्गशीर्ष मास धर्म, अध्यात्म, दान और तपस्या का महीना है। यह मास जीवन में समृद्धि, स्वास्थ्य व आध्यात्मिक विकास लेकर आता है। इन पवित्र दिनों में किए गए कर्म और पूजा का फल अनेक जन्मों तक माना जाता है।
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