Mangla Gauri Vrat 2024: मंगला गौरी व्रत में करें कथा का पाठ, जीवन होगा मंगलमय

Mangla Gauri Vrat 2024: मंगला गौरी व्रत में करें कथा का पाठ, जीवन होगा मंगलमय

सावन में मंगला गौरी व्रत (Mangla Gauri Vrat 2024) किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन शिव जी और माता पार्वती की पूजा करने से विवाह में आ रही बाधा दूर होती है और जल्द विवाह के योग बनते हैं। ऐसा माना जाता है कि व्रत के दौरान कथा का पाठ न करने से पूजा पूर्ण नहीं होती है। चलिए पढ़ते हैं मंगला गौरी व्रत कथा।

मंगला गौरी व्रत का महत्व

सावन महीने के हर मंगलवार को मंगला गौरी व्रत किया जाता है। यह व्रत माता पार्वती को समर्पित है और इसे करने से विवाहित महिलाओं के जीवन में सुख, समृद्धि और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। अविवाहित लड़कियां इसे अच्छा वर पाने के लिए करती हैं।

मंगला गौरी व्रत की कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन समय में धर्मपाल नाम का एक सेठ था, जो शिव जी का भक्त था और जिसके पास बहुत धन था। उसका विवाह गुणवान वधू से हुआ, लेकिन उसे संतान की प्राप्ति नहीं हुई। इस चिंता के कारण उसकी पत्नी ने प्रकांड पंडित से संपर्क किया। पंडित ने उन्हें महादेव और माता पार्वती की पूजा करने की सलाह दी।

श्रद्धा और भक्ति से की गई उपासना से माता पार्वती प्रसन्न हुईं और उन्होंने संतान का वरदान दिया। हालांकि, संतान की आयु कम थी। पंडित की सलाह पर धर्मपाल ने अपने पुत्र का विवाह मंगला गौरी व्रत करने वाली कन्या से किया। उस कन्या के पुण्य प्रताप से सेठ के पुत्र को लंबी आयु का आशीर्वाद प्राप्त हुआ।

मंगला गौरी व्रत की तिथि 2024

इस वर्ष दूसरा मंगला गौरी व्रत 30 जुलाई 2024 को रखा जाएगा।

मंगला गौरी व्रत की पूजा विधि

  1. स्नान और शुद्धिकरण: प्रातः काल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें, हो सके तो लाल वस्त्र पहनें।
  2. पूजन स्थल की तैयारी: पूजा के लिए एक स्वच्छ स्थान का चयन करें और वहां चौकी या पाटे पर लाल वस्त्र बिछाएं।
  3. देवी गौरी की स्थापना: चौकी पर देवी गौरी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें।
  4. पूजा सामग्री: पूजन के लिए रोली, अक्षत, फूल, माला, धूप, दीप, नैवेद्य (पंचामृत, फल, मिठाई) आदि तैयार रखें।
  5. संकल्प और पूजा: व्रत का संकल्प लें और देवी गौरी की पूजा का आरंभ करें।
  6. व्रत कथा का पाठ: मंगला गौरी व्रत कथा का पाठ करें या सुनें।
  7. आरती और प्रसाद: देवी की आरती करें और प्रसाद का वितरण करें।
  8. भोग और आरती: पूजा के अंत में विशेष भोग अर्पित करें और आरती करें। भोग में गुड़, चने, और मिठाइयाँ शामिल करें।

व्रत के नियम

  • व्रत का पालन विशेष रूप से सावन के महीने के मंगलवार को किया जाता है।
  • दिनभर उपवास रखें और सूर्यास्त के बाद ही अन्न ग्रहण करें।
  • संयमित जीवनशैली अपनाएं और मन, वचन, और कर्म से शुद्ध रहें। 

मंगला गौरी व्रत की महिमा और इसके पालन की विधि को जानकर आप भी इस पवित्र व्रत का लाभ उठा सकते हैं। देवी पार्वती की कृपा से आपका जीवन सुख-समृद्धि और सौभाग्य से भर जाए, यही हमारी शुभकामना है।

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