आस-पास के मंदिर
उज्जैन,
Madhya Pradesh,
India
खुलने का समय : 12:00 AM - 12:00 PM
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नागचंद्रेश्वर मंदिर के बारे में
उज्जैन का नागचंद्रेश्वर मंदिर भगवान शिव और नागराज को समर्पित एक प्राचीन और अनोखा मंदिर है, जो महाकालेश्वर मंदिर परिसर की तीसरी मंजिल पर स्थित है। यह मंदिर साल में केवल नागपंचमी के दिन ही खुलता है, जब भगवान शिव माता पार्वती और गणेश जी के साथ दसमुखी सर्प शय्या पर विराजमान होते हैं। मंदिर में 11वीं शताब्दी की प्रतिमा स्थापित है, जिसे नेपाल से लाया गया माना जाता है। यह दुनिया का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहाँ भगवान शिव को विष्णु भगवान के स्थान पर सर्प शय्या पर पूजित किया जाता है। श्रद्धालुओं का मानना है कि इस मंदिर में दर्शन करने से किसी भी तरह के सर्पदोष से मुक्ति मिलती है।
क्या अपेक्षा करें?
आगंतुक यहाँ एक दुर्लभ और आध्यात्मिक अनुभव की उम्मीद कर सकते हैं, जिसमें सर्प शय्या पर विराजमान भगवान शिव की 11वीं शताब्दी की अनोखी प्रतिमा का दर्शन, नागपंचमी के भव्य अनुष्ठान, भक्तों की लंबी कतारें और महानिर्वाणी अखाड़ा के संन्यासियों द्वारा बनाए रखा गया गहन भक्तिपूर्ण वातावरण शामिल है।
टिप्स विवरण
नागचंद्रेश्वर मंदिर के बारे में अधिक जानकारी
हिंदू धर्म में सदियों से नागों की पूजा करने की परंपरा रही है। हिंदू परंपरा में नागों को भगवान का आभूषण भी माना गया है। भारत में नागों के अनेक मंदिर हैं, इन्हीं में से एक मंदिर है उज्जैन स्थित नागचंद्रेश्वर का,जो की उज्जैन के प्रसिद्ध महाकाल मंदिर की तीसरी मंजिल पर स्थित है। इसकी खास बात यह है कि यह मंदिर साल में सिर्फ एक दिन नागपंचमी (श्रावण शुक्ल पंचमी) पर ही दर्शनों के लिए खोला जाता है। ऐसी मान्यता है कि नागराज तक्षक स्वयं मंदिर में रहते हैं।
नागचंद्रेश्वर मंदिर में 11वीं शताब्दी की एक अद्भुत प्रतिमा है, इसमें फन फैलाए नाग के आसन पर शिव-पार्वती बैठे हैं। कहते हैं यह प्रतिमा नेपाल से यहां लाई गई थी। उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है।
पूरी दुनिया में यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसमें विष्णु भगवान की जगह भगवान भोलेनाथ सर्प शय्या पर विराजमान हैं। मंदिर में स्थापित प्राचीन मूर्ति में शिवजी, गणेशजी और मां पार्वती के साथ दशमुखी सर्प शय्या पर विराजित हैं। शिवशंभु के गले और भुजाओं में भुजंग लिपटे हुए हैं।
क्या है पौराणिक मान्यता ?
मान्यताओं के अनुसार, नागों के राजा तक्षक ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की थी, जिससे प्रसन्न होकर भगवान ने तक्षक नाग को अमरता का वरदान दिया था। तक्षक का उल्लेख हिंदू महाकाव्य महाभारत के साथ-साथ भागवत पुराण में भी मिलता है। उन्हें नागों का राजा और कद्रू के पुत्रों में से एक बताया गया है।
यह मंदिर काफी प्राचीन है। माना जाता है कि परमार राजा भोज ने 1050 ईस्वी के लगभग इस मंदिर का निर्माण करवाया था। इसके बाद सिंधिया घराने के महाराज राणोजी सिंधिया ने 1732 में महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। उस समय इस मंदिर का भी जीर्णोद्धार हुआ था। सभी की यही मनोकामना रहती है कि नागराज पर विराजे शिवशंभु की उन्हें एक झलक मिल जाए। लगभग दो लाख से ज्यादा भक्त एक ही दिन में नागदेव के दर्शन करते हैं।
नागपंचमी पर वर्ष में एक बार होने वाले भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए शनिवार रात 12 बजे मंदिर के पट खुलेंगे। रविवार नागपंचमी को रात 12 बजे मंदिर में फिर आरती होगी व मंदिर के पट पुनः बंद कर दिए जाएंगे।
नागचंद्रेश्वर मंदिर की पूजा और व्यवस्था महानिर्वाणी अखाड़े के संन्यासियों द्वारा की जाती है।
नागपंचमी पर्व पर बाबा महाकाल और भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं के लिए अलग-अलग प्रवेश की व्यवस्था की गई है। इनकी कतारें भी अलग होंगी। रात में भगवान नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट खुलते ही श्रद्धालुओं की दर्शन की आस पूरी होगी।
वरदान के बाद राजा तक्षक भगवान के सानिध्य में रहने लगे, लेकिन महाकाल वन में रहने से पहले उनकी इच्छा थी कि उनके एकांत में कोई विघ्न न पड़े, इसलिए यही परंपरा चली आ रही है कि केवल नाग पंचमी के दिन ही उनके दर्शन होते हैं, अन्य समय परंपरा के रूप में मंदिर बंद रहता है।
मंदिर ज्ञात
Timings
प्रवेश शुल्क
Tips and restrictions
सुविधाएँ
समय की आवश्यकता
नागचंद्रेश्वर मंदिर, उज्जैन कैसे पहुँचें?
नागचंद्रेश्वर मंदिर, उज्जैन सेवाएँ
दैनिक रखरखाव, अनुष्ठान और वार्षिक नाग पंचमी दर्शन।
नागचंद्रेश्वर मंदिर, उज्जैन आरती का समय
मंदिर वर्ष में केवल एक बार नाग पंचमी पर खुलता है; नाग पंचमी की पूर्व संध्या पर मध्यरात्रि में और नाग पंचमी की मध्यरात्रि में पुनः आरती की जाती है, जिसके बाद मंदिर के द्वार बंद कर दिए जाते हैं।
पर्यटक स्थल
नागचंद्रेश्वर मंदिर, उज्जैन के पास देखने लायक स्थान
नागचंद्रेश्वर मंदिर, उज्जैन के निकट अन्य धार्मिक स्थान
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Kabir Shah
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